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नई दिल्ली. जहां बीते बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस लैंडर मॉड्यूल की ‘सॉफ्ट लैंडिग’ कराने में सफलता हासिल की। वहीं आज  चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayan-3) के रोवर ‘प्रज्ञान’ के लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकलने और इसके चंद्रमा की सतह पर चलने का एक शानदार वीडियो ISRO ने जारी किया। यह वीडियो लैंडर के इमेजर कैमरे ने बनाया है। 

इसके साथ ही आज रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चंद्रमा पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न के निशान छोड़े। जानकारी दें कि रोवर का पिछला पहिया इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह आगे बढ़ने पर अपने पीछे चंद्रमा की सतह पर सारनाथ में अशोक की लाट से लिया गया भारत का राष्ट्रीय चिह्न अंकित करेगा। तो वहीं इसका दूसरा पिछला पहिया इसरो का निशान प्रिंट करेगा जो हमेशा के लिए चांद पर भारत की मौजूदगी का प्रमाण होगा। इसी से ‘प्रज्ञान’ ने चंद्रमा पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न के निशान बनाए हैं।

जानकारी दें कि, चंद्रयान का लैंडर सतह पर उतरने के बाद उसके अंदर रखे रोवर की बैटकी एक्टिवेट हो गई और उसके सोलर पैनल खुल गए हैं। इसके बाद रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के बाद उसका कैमरा और दूसरे हिस्से एक्टिव हो गए हैं और रोवर सतह पर आगे बढ़ने लगा है।

रोवर का मिशन 

वहीं अब चांद की सतह पर रोवर जो डेटा इकठ्ठा करेगा उसे लैंडर के पास भेजेगा, जिसे लैंडर जमीन पर इसरो के कमांड सेंटर को भेजेगा। वहीं इस लैंडर के माध्यम से ही ISRO के वैज्ञानिक रोवर को कमांड भेज सकेंगे। जानकारी दें कि, रोवर का कार्यकाल एक चंद्रदिवस यानी कि धरती पर 14 दिन के बराबर होगा। यह भी बता दें कि, चंद्रमा की सतह पर परीक्षण के दौरान रोवर प्रज्ञान लैंडर से 500 मीटर से ज्यादा की दुरी पर नहीं जा सकेगा।