Invitation To PM Modi And Rahul Gandhi For A Public Debate
पीएम मोदी और राहुल गांधी (सौजन्य: पीटीआई फोटो)

पीएम मोदी और राहुल गांधी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि हमारा मानना ​​है कि एक सार्वजनिक बहस के माध्यम से हमारे राजनीतिक नेताओं को सीधे सुनने से नागरिकों को अत्यधिक लाभ होगा। इससे हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को काफी मजबूत करने में मदद मिलेगी।

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नई दिल्ली: देश में इन दिनों लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) की तैयारियां जोरों पर है। आम चुनाव के तीन चरण के लिए मतदान हो गए है। सत्तापक्ष-विपक्ष जोरों शोरों से अपने पार्टी के प्रचार प्रसार करने में लगे हुए है। इस बीच देश के जानी-मानी हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को खुली बहस का न्योता दिया है। दो बड़ी पार्टियों के बड़े नेताओं के ओपन डिबेट करने का निमंत्रण सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर (Madan Lokur), दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अजीत पी शाह (Ajit Prakash Shah) और द हिंदू के पूर्व एडिटर इन चीफ एन राम (N Ram) की ओर से भेजा गया है।

पीएम मोदी और राहुल गांधी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि हमारा मानना ​​है कि एक सार्वजनिक बहस के माध्यम से हमारे राजनीतिक नेताओं को सीधे सुनने से नागरिकों को अत्यधिक लाभ होगा। इससे हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को काफी मजबूत करने में मदद मिलेगी।

पत्र में कहा गया है, ‘हम आपको भारत के नागरिक के रूप में लिख रहे हैं जिन्होंने विभिन्न क्षमताओं में देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन किया है।” पत्र में कहा गया है कि प्रस्ताव गैर-पक्षपातपूर्ण और “प्रत्येक नागरिक के व्यापक हित में” है।’ पत्र में कहा गया है कि 18वीं लोकसभा का आम चुनाव अपने मध्य बिंदु पर पहुंच गया है। रैलियों और सार्वजनिक संबोधनों के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस दोनों के सदस्यों ने हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के मूल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे हैं।

प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष के बयानों का जिक्र

देश के नामी हस्तियों द्वारा भेजे गए पत्र में यह भी कहा गया है, “प्रधानमंत्री ने आरक्षण, आर्टिकल 370 और धन पुनर्वितरण पर कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से चुनौती दी है। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान, चुनावी बॉन्ड योजना और चीन के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया पर प्रधानमंत्री से सवाल किया है और उन्हें सार्वजनिक बहस की चुनौती भी दी है। दोनों पक्षों ने अपने-अपने घोषणापत्रों के साथ-साथ सामाजिक न्याय की संवैधानिक रूप से संरक्षित योजना पर उनके रुख के बारे में एक-दूसरे से सवाल पूछे हैं।”

इस बात को लेकर जताई चिंता

पत्र में यह भी लिखा गया है, “जनता के सदस्य के रूप में हम चिंतित हैं कि हमने दोनों पक्षों से केवल आरोप और चुनौतियाँ सुनी हैं, और कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं सुनी है। जैसा कि हम जानते हैं, आज की डिजिटल दुनिया गलत सूचना, गलत बयानी और हेरफेर की प्रवृत्ति रखती है। इन परिस्थितियों में, यह सुनिश्चित करना मौलिक रूप से महत्वपूर्ण है कि जनता को बहस के सभी पहलुओं के बारे में अच्छी तरह से शिक्षित किया जाए, ताकि वे मतपत्रों में एक सूचित विकल्प चुन सकें, यह हमारे चुनावी मताधिकार के प्रभावी अभ्यास का केंद्र है।”

बड़ी मिसाल कायम करेगी सार्वजनिक बहस

चिठ्ठी में यह भी लिखा गया, “हमारा मानना ​​है कि गैर-पक्षपातपूर्ण और गैर-वाणिज्यिक मंच पर सार्वजनिक बहस के माध्यम से हमारे राजनीतिक नेताओं से सीधे सुनने से जनता को कई फायदे होंगे। यह आदर्श होगा यदि जनता न केवल प्रत्येक पक्ष के प्रश्नों को सुने, बल्कि प्रतिक्रियाओं को भी सुने। हमारा मानना ​​है कि इससे हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को काफी मजबूत करने में मदद मिलेगी। यह अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और पूरी दुनिया हमारे चुनावों पर उत्सुकता से नजर रखती है। इसलिए, इस तरह की सार्वजनिक बहस न केवल जनता को शिक्षित करके, बल्कि एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र की सच्ची छवि पेश करने में भी एक बड़ी मिसाल कायम करेगी।”