नई दिल्ली. आदित्य L1 (Aditya L1 Mission) पर मिली बड़ी खबर के अनुसार, ISRO ने आज यानी 15 सितंबर को रात करीब 2 बजे चौथी बार आदित्य L1 की ऑर्बिट बढ़ाई है। वहीं इस ऑर्बिट बढ़ने के क्रम में कुछ देर के लिए थ्रस्टर फायर किए गए। अब इसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 256 किमी, जबकि सबसे ज्यादा दूरी 1 लाख 21 हजार 973 किमी होगी। जानकारी दें कि, आदित्य सोलर मिशन की लॉन्चिंग बीते 2 सितंबर को की गई थी।
इस बाबत जानकारी देते हुए ISRO ने बताया कि ये ऑपरेशन ISTRAC बेंगलुरु से किया गया है। इस दौरान सैटेलाइट को मॉरिशस और पोर्ट ब्लेयर में बने ISRO के ग्राउंड स्टेशनों से भी ट्रैक किया गया। वहीं अब आगामी 19 सितंबर को रात 2 बजे इसे लैग्रेंज पॉइंट L1 की कक्षा में स्थापित करने के लिए फिर से ऑर्बिट बढ़ाई जाएगी।
Aditya-L1 Mission:
The fourth Earth-bound maneuvre (EBN#4) is performed successfully.ISRO’s ground stations at Mauritius, Bengaluru, SDSC-SHAR and Port Blair tracked the satellite during this operation, while a transportable terminal currently stationed in the Fiji islands for… pic.twitter.com/cPfsF5GIk5
— ISRO (@isro) September 14, 2023
जानकारी दें कि, ISRO ने बीते 10 सितंबर को रात करीब 2.30 बजे तीसरी बार आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट बढ़ाई थी। वहीं फिर बीते 5 सितंबर को रात 2.45 बजे आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट दूसरी बार बढ़ाई गई थी।
क्या है लैग्रेंजियन पॉइंट
आपको बता दें कि, वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। लैग्रेंज बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र-‘एस्से सुर ले प्रोब्लेम डेस ट्रोइस कॉर्प्स, 1772 के लिए रखा गया है।लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में आसानी होती है।
आदित्य में 7 पेलोड
यह भी बताते चलें कि, आदित्य L1 मिशन के साथ जो काम के 7 इक्विपमेंट्स गए हैं, उनके नाम हैं- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC), सोलर अल्ट्रा-वॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT), आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX), प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्टोमीटर (SoLEXS), हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्टोमीटर (HEL1OS) और मैग्नेटोमीटर पेलोड। ये सभी सूरज के रिसर्च में बहुत काम आएंगे।