जानें क्यों मनाते हैं ‘शिक्षक दिवस’, जानिए इस विशेष दिन के मनाए जाने का इतिहास

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर साल आज यानी 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’(Happy Teachers’ Day) मनाया जाता है। यह दिवस भारत के महान शिक्षक ‘डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ (Sarvepalli Radhakrishnan’s Birthday) के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

ये तो सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में गुरु का बड़ा महत्व होता है। बिना गुरू के ज्ञान को पाना असंभव है। शिक्षक के आशीर्वाद से ही हम अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर बढ़ते है। हमारे देश में हर साल 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था।

वे स्वयं ही एक महान शिक्षक थे। उनका व्यक्तित्व श्रेष्ठ था। उनके जन्मदिन को ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए उन्होंने कहा था,“ मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय अगर इस दिन को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाए तो यह मेरे लिए गर्व का विषय होगा।”  आइए जानें बच्चों के लिए ‘शिक्षक दिवस’ का इतिहास और महत्व –

जानकारी के अनुसार, देश के बच्चों, युवाओं को सही दिशा दिखाने, उन्हें सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रत्येक शिक्षक का बहुत बड़ा रोल होता है। शिक्षकों के सम्मान में हर साल 5 सितंबर को ‘टीचर्स डे’ मनाया जाता है। इस दिन हर स्टूडेंट अपने टीचर्स को उनके गाइडेंस, मेहनत और प्यार के लिए थैंक यू बोलते हैं। इस दिन देश के  प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था, जो जीवन में ढेरों किरदार निभाने के बाद भी हमेशा एक टीचर बनकर देश की सेवा करते रहे।  डॉ. राधाकृष्णन की इच्छा से उनके जन्मदिवस को शिक्षकों को डेडिकेट करते हुए यह दिन मनाया जाने लगा।

भारत में ‘शिक्षक दिवस’ हर साल बड़े हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाता हैं। प्राचीन काल से ही गुरूओं का बच्चों के जीवन में बड़ा योगदान रहा हैं। गुरुओं से मिला ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं। शिक्षक दिवस सभी शिक्षकों और गुरुओं को समर्पित हैं। इस दिन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता  हैं। भारत में शिक्षक दिवस शिक्षकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को अर्पित करने का उत्सव और अवसर हैं। वे हमें जीवन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना भी सिखाते हैं।

गौरतलब है कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों पदों पर रहे। शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का योगदान अतुलनीय है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके योगदान के लिए साल 1954 में देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।