Lakhimpur Kheri Violence: Supreme Court to hear on March 11 on Ashish Mishra's plea for cancellation of bail
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    नयी दिल्ली. आखिरकार लखीमपुर कांड (Lakhimpur Khiri) में पुलिस ने आशीष मिश्रा उर्फ मोनू (Ashish Mishra) को बीते शनिवार को तकरीबन 12 घंटे की पूछताछ के बाद आपनी गिरफ्त में ली ही लिया यानी कि गिरफ्तार कर लिया।  कुछ अंदरूनी सूत्रों के अनुसार किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में नामजद आरोपी आशीष मिश्रा पूछताछ के दौरान SIT को लगातार बरगलाता रहा। 

    लेकिन SIT भी तो आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई।  सबसे बड़ा सवाल वही था जिसकी चर्चा हर तरफ है।  दरअसल आरोप ये है कि किसानों को जिस थार कार से रौंदा गया वो आशीष मिश्रा चला रहा था।  जबकि बचाव में आशीष मिश्रा और उनके पिता व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की तरफ से लगातार यही दलीलें दी जा रही हैं कि घटनास्थल पर वो मौजूद ही नहीं था।  इसी सवाल पर क्राइम ब्रांच ने भी आशीष मिश्रा से सघन पूछताछ की। 

    40 सवाल और आशीष हुआ गिरफ्तार 

    यह भी खबर है कि जांच एजेंसी की पूछताछ में आशीष से करीब 40 सवाल भी पूछे गए।  SIT के एक सवाल का आशीष जवाब भी नहीं दे सका।  जब आशीष से पूछा गया कि, 3 अक्टूबर को दिन में 2:36 से 3:30 बजे तक वह कहां था? आशीष यहीं फँस गया और सवाल का जवाब नहीं दे पाया।  यानी आशीष ने घटना के दिन के वीडियो दिखाकर खुद को कहीं और बताने के प्रयास जरूर किए, लेकिन जिन वक्त किसानों को कार से रौंदने की घटना हुई, ठीक उसी वक्त वो कहां था, ये साबित करने में वो बिल्कुल सफल । 

    कहानी  एक नए मोड़ पर मुड़ते हुए, आशीष मिश्रा को शनिवार को करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया  और आधी रात के बाद उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व कर रहे पुलिस उप महानिरीक्षक (मुख्यालय) उपेंद्र अग्रवाल ने शनिवार रात लगभग 11 बजे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की जानकारी दी। अग्रवाल ने बताया, ‘‘मिश्रा ने पुलिस के सवालों का उचित जवाब नहीं दिया और जांच में सहयोग नहीं किया। वह सही बातें नहीं बताना चाह रहे हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया।” 

    आशीष मिश्रा की शनिवार देर रात चिकित्सीय जांच कराई गई और आधी रात के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में पेश किया गया। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) एसपी यादव ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आशीष को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लखीमपुर खीरी जिला जेल भेज दिया है। 

    लगे नारे और हुए जयकारे 

    यादव ने बताया कि आशीष की पुलिस रिमांड के लिए अर्जी दी गयी थी और अदालत ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की है।पुलिस लाइन के आसपास के इलाके में भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया और अवरोधक लगाए गए। एसआईटी द्वारा आशीष से पूछताछ के दौरान अजय मिश्रा लखीमपुर खीरी में अपने सांसद कार्यालय में वकीलों के साथ मौजूद थे और बाद में वह अपने समर्थकों को शांत कराने के लिए बाहर आए। बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री के समर्थक उनके आवास के बाहर एकत्रित हो गए थे और उनके तथा उनके बेटे के समर्थन में नारे लगा रहे थे। मंत्री ने समर्थकों के समक्ष दावा किया कि आशीष निर्दोष है और वह बेदाग साबित होगा। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई पर गहरी नाराजगी प्रकट की थी।

    क्या थी घटना   

    तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी की हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के मामले में आशीष और अन्य लोगों के खिलाफ हत्या समेत अन्‍य संबंधित धाराओं में तिकुनिया थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। घटना के बाद आशीष पर आरोप लगा कि वह उन वाहनों में से एक में सवार था जिसने गत रविवार को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे पर प्रदर्शन कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था, जिसके बाद प्राथमिकी में उसका नाम जोड़ा गया।

    आशीष पूर्वान्ह लगभग 11 बजे एसआईटी के समक्ष पेश हुआ। उसे शुक्रवार को पुलिस ने दूसरा नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए शनिवार पूर्वान्ह 11 बजे तक पेश होने को कहा था। आशीष शुक्रवार को लखीमपुर खीरी में पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ था, इसलिए उसके घर के बाहर दूसरा नोटिस चस्पा किया गया था। लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाने में बहराइच जिले के निवासी जगजीत सिंह की ओर से सोमवार को दर्ज कराई गई प्राथमिकी में मंत्री के पुत्र आशीष उर्फ मोनू पर 15-20 अज्ञात लोगों के साथ किसानों के ऊपर जीप चढ़ाने और गोली चलाने का आरोप लगाया गया है। 

    जगजीत सिंह की शिकायत पर सोमवार को तिकुनिया थाने में आशीष तथा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (उपद्रव), 148 (घातक अस्त्र का प्रयोग), 149 (भीड़ की हिंसा), 279 (सार्वजनिक स्थल से वाहन से मानव जीवन के लिए संकट पैदा करना), 338 (दूसरों के जीवन के लिए संकट पैदा करना), 304 ए (किसी की असावधानी से किसी की मौत होना), 302 (हत्या) और 120 बी (साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

    लखीमपुर घटना और राजनीति 

    वहीं, कांग्रेस की पंजाब इकाई के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्री के बेटे के पूछताछ के लिए पेश होने के बाद अपना ‘‘मौन धरना” शनिवार को समाप्त कर दिया। केंद्रीय मंत्रिपरिषद से अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और उनके बेटे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विपक्ष और किसान नेताओं ने शनिवार को भी सत्तारूढ़ दल भाजपा पर दबाव बनाए रखा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव समेत किसान नेताओं ने इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा। 

    कोई मारा झाड़ू तो किसी ने लिया मौन व्रत 

    इस मामले में सिद्धू ने निघासन तहसील में स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप के घर के बाहर शुक्रवार शाम छह बजकर 15 मिनट से अपना ‘‘मौन धरना” शुरू किया था। कश्यप की तीन अक्टूबर की घटना में मौत हो गई थी। सिद्धू ने बाद में पत्रकारों से कहा, ‘‘यह सत्य की जीत है। कोई व्यक्ति राजा हो सकता है, लेकिन न्याय से बड़ा कोई नहीं है। न्याय है तो शासन है, और यदि न्याय नहीं है तो कुशासन है। यह किसानों के परिवारों, लवप्रीत सिंह के परिवार और रमन कश्यप के परिवार की जीत है।” मारे गए चार किसानों में लखीमपुर के पलिया गांव के लवप्रीत सिंह भी शामिल हैं।

    प्रियंका गांधी ने इस मामले में शनिवार को ट्वीट किया, ‘‘पीड़ित किसान परिवारों की एक ही मांग है, उन्हें न्याय मिले।” कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मंत्री की बर्खास्तगी और हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के बिना न्याय मिलना असंभव है। सरकार आरोपी को हाजिर होने का निमंत्रण भेजकर क्या संदेश देना चाहती है। सरकार दोषियों को संरक्षण नहीं, सजा दे। अखिलेश यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत सरकार लखीमपुर हिंसा के मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के आरोपी बेटे को समन भेजने के बजाय ‘फूलों का गुलदस्ता’ दे रही है।”

    यादव ने लखनऊ में पत्रकारों से कहा, ‘‘जिस तरह से पहले किसानों को कुचला गया, अब कानून को कुचलने की तैयारी चल रही है। आपने देखा होगा कि कैसे एक वाहन ने किसानों को कुचल दिया, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे थे। दोषी व्यक्ति अभी तक पकड़े नहीं गए हैं। उन्हें समन देने के बजाय, फूलों का गुलदस्ता दिया जा रहा है। समन केवल नाम में है, वास्तव में ‘सम्मान’ दिया जा रहा है।”  

    केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आरोप लगाया कि पूर्व नियोजित साजिश के तहत हिंसा की गई। किसान संघों ने कहा कि अगर सरकार 11 अक्टूबर तक उनकी मांगों को नहीं मानती है तो वे मारे गए किसानों की अस्थियों को लेकर लखीमपुर खीरी से ‘शहीद किसान यात्रा’ निकालेंगे। एसकेएम ने 18 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक देश भर में ‘रेल रोको’ आंदोलन और 26 अक्टूबर को लखनऊ में ‘महापंचायत’ करने का आह्वान किया। एसकेएम के नेता योगेंद्र यादव ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अजय मिश्रा को ‘‘मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उन्हें हत्या और साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”