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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे

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नई दिल्ली: मणिपुर को लेकर संसद (Monsson Session 2023) में चल रहे गतिरोध के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को चिट्ठी लिखी थी। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने इसका बुधवार (26 जुलाई) को पीएम मोदी (PM Modi) पर निशाना साधते हुए जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी से हम सदन में आकर बयान देने को बोलते हैं तो उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है।  

अपने जवाब में खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से हम सदन में आकर बयान देने को कहते हैं तो वो हमारे गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) की तुलना आतंकवादी संगठन से करते हैं। ये बिल्कुल बेतुका है। अमित शाह के पत्र का जवाब देते हुए राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पत्र के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करना आसान है, लेकिन उससे ज़्यादा आसान है अपने आचरण से सदन में मौजूद विपक्षी दलों के सदस्यों का विश्वास जीतना।  

अपने जवाब में खड़गे ने कहा कहा, ”एक ही दिन में पीएम मोदी देश के विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी दल से जोड़ते हैं और उसी दिन गृह मंत्री अमित शाह भावनात्मक पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा करते हैं।  सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव वर्षों से दिख रहा था।  अब यह खाई सत्तापक्ष के अंदर भी दिखने लगी है।  इस पर पीएम मोदी का विपक्षी दलों को दिशाहीन बताना बेतुका ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है। 

‘…उनके सम्मान को ठेस पहुंचाता है’

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी से हम सदन में आकर बयान देने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनका ऐसा करना उनके सम्मान को ठेस पहुंचाता है। हमारी इस देश की जनता के प्रति प्रतिबद्धता है और हम इसके लिए हर क़ीमत देंगे। 

इतिहास में पक्ष और विपक्ष दोनों का हर आचरण दर्ज होता है

उन्होंने आगे कहा, ‘लंबे समय तक शासन में रहने के बाद हमें ज्ञात है कि इतिहास के पन्नों में पक्ष और विपक्ष दोनों का हर आचरण दर्ज होता है।  हमारी जवाबदेही मौजूदा पीढ़ी के साथ साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है ताकि हम उन्हें बता सकें कि हमने उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी।’   

खरगे ने जवाबी पत्र में लिखा,  ”सत्तापक्ष यदि सचमुच सदन की कार्यवाही चलाने की इच्छा रखता है तो यह आसानी से विपक्ष को बोलने का मौका देकर किया जा सकता है।  इसके लिए आसन अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है।  इसी तरह सदन के नेता का व्यवहार पूर्व-निर्धारित प्रतिक्रिया संचालित ना होकर सामान्य एवं सकारात्मक हो सकता है। यह सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहायक होगा। ”

उन्होंने कहा, ”सत्र के दौरान रोज सरकार और विपक्ष का आचरण सदन के सामने रहता है आज भी रहेगा। गृह मंत्री अमित शाह  की कथनी और करनी में कितनी समानता रहेगी यह पूरा विपक्ष समेत देश देखेगा।” 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ”मुझे आपका (अमित शाह) जुलाई 25 का लिखित पत्र प्राप्त हुआ जो तथ्यों के विपरीत है। आपको ध्यान होगा कि मणिपुर में 3 मई के बाद की स्थिति पर ‘इंडिया’ घटक दलों की लगातार मांग रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन के पटल पर पहले अपना बयान दें जिसके बाद दोनों सदनों में इस विषय पर एक विस्तृत बहस और चर्चा की जाए। 

उन्होंने कहा कि जिस तरह की गंभीर स्थिति पिछले 84 दिनों से मणिपुर में व्याप्त है और जिस तरह की घटनाएं एक एक कर सामने आ रही है। हम सभी राजनीतिक दलों से यह अपेक्षित है कि हम वहां पर तत्काल शांति बहाली के लिए तथा जनता को संदेश देने के लिए देश के सर्वोच्च सदन में कम से कम इतना तो करेंगे।  हम सामूहिक रूप से यही मांग कर रहे हैं। 

अमित शाह ने लिखा था पत्र

इससे पहले, बीते दिन अमित शाह ने लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के दोनों नेताओं को पत्र लिखा है। शाह ने यह भी कहा कि सरकार को मणिपुर पर चर्चा से कोई डर नहीं है और उसे कुछ छिपाना भी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आज दोनों सदन के विपक्ष के नेता को पत्र लिखा है कि कितनी भी लंबी चर्चा के लिए मैं तैयार हूं। सरकार को कोई डर नहीं है, जिसको चर्चा करनी है वो चर्चा करने आए। हमें कुछ छिपाना नहीं है।” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सभी दल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने में सहयोग करेंगे।