नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सोमवार को पंडित मदन मोहन मालवीय (Pandit Madan Mohan Malaviya) की 162वीं जयंती के अवसर पर ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ पंडित मदन मोहन मालवीय’ की 11 खंडों की पहली श्रृंखला जारी की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाली कई सदियों तक लोग मालवीय से प्रभावित होते हैं और उन्होंने हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा है।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “पंडित मदन मोहन मालवीय के संपूर्ण वांग्मय का लोकार्पण होना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। यह संपूर्ण वांग्मय उनके विचारों, आदर्शों और जीवन से हमारी युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को परिचित कराने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।”
#WATCH | Delhi: Prime Minister Narendra Modi says, “Just like Pandit Madan Mohan Malaviya I also got the chance to serve Kashi…” https://t.co/M7j4G848ME pic.twitter.com/5M9auBbLM3
— ANI (@ANI) December 25, 2023
उन्होंने कहा, “महामना (पंडित मदन मोहन मालवीय) जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं और आने वाली कई सदियों तक लोग उनसे प्रभावित होते हैं। वे आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों के संगम थे।” उन्होंने कहा, “वे जिस भूमिका में भी रहे, उन्होंने हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा। वे देश के लिए बड़ी से बड़ी ताकत से टकराए, मुश्किल से मुश्किल माहौल में भी उन्होंने देश के लिए संभावनाओं के बीज बोए।”
आजादी के ‘अमृतकाल’ में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति
पीएम मोदी ने आगे कहा, “मेरा सौभाग्य है कि 2014 में जब मैंने नामांकन भरा तो उसे प्रपोज करने वाले पंडित मदन मोहन मालवीय के परिवार के सदस्य थे। महामना की काशी के प्रति बहुत आस्था थी, आज काशी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रही है। आजादी के ‘अमृतकाल’ में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने और अपनी विरासत पर गर्व करने के सरकार के अभियान का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यों में भी कहीं न कहीं पंडित मालवीय के विचारों की महक महसूस होगी।”
मालवीय के लेखों और भाषणों का संग्रह
ये द्विभाषी रचनाएं (अंग्रेजी और हिंदी) 11 खंडों में लगभग 4,000 पृष्ठों में हैं, जो देश के हर कोने से एकत्र किए गए पंडित मदन मोहन मालवीय के लेखों और भाषणों का संग्रह है। इन खंडों में उनके अप्रकाशित पत्र, लेख और ज्ञापन सहित भाषण, वर्ष 1907 में उनके द्वारा शुरू किए गए हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’ की संपादकीय सामग्री, समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गए लेख, पैम्फलेट एवं पुस्तिकाएं शामिल हैं। इसमें वर्ष 1903 और वर्ष 1910 के बीच आगरा और अवध के संयुक्त प्रांतों की विधान परिषद में दिए गए उनके सभी भाषण, रॉयल कमीशन के समक्ष दिए गए वक्तव्य, वर्ष 1910 और वर्ष 1920 के बीच इंपीरियल विधान परिषद में विभिन्न विधेयकों को प्रस्तुत करने के दौरान दिए गए भाषण, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले और उसके बाद लिखे गए पत्र, लेख एवं भाषण तथा वर्ष 1923 से लेकर वर्ष 1925 के बीच उनके द्वारा लिखी गई एक डायरी शामिल है।
पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा लिखित और बोले गए विभिन्न दस्तावेजों पर शोध एवं उनके संकलन का कार्य महामना मालवीय मिशन द्वारा किया गया, जो महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों और मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित एक संस्था है। प्रख्यात पत्रकार राम बहादुर राय के नेतृत्व में इस मिशन की एक समर्पित टीम ने इन सभी रचनाओं की भाषा और पाठ में बदलाव किए बिना ही पंडित मदन मोहन मालवीय के मूल साहित्य पर कार्य किया है।
इन पुस्तकों का प्रकाशन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्थ प्रकाशन प्रभाग द्वारा किया गया है। आधुनिक भारत के निर्माताओं में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय का अग्रणी स्थान है। पंडित मदन मोहन मालवीय को एक उत्कृष्ट विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लोगों के बीच राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए अथक मेहनत की थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)