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चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि  द्वारा राज्य के मंत्रीमंडल के मंत्रिमंडल से मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने पर राजनीतिक गलियारों में गर्माहट है। कांग्रेस राज्यपाल के इस फैसले पर अक्रामक है तो वहीं उद्धव गुट भी पीछे नहीं है। संजय राउत ने कहा जहां बीजेपी की सरकार नहीं है वहां वह संविधान के खिलाफ जा रही है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने राज्यपाल को हटाने की मांग की। 

बीजेपी संविधान के खिलाफ कर रही काम: संजय राउत
तमिलनाडु में राज्यपाल आर.एन. रवि द्वारा मंत्री सेंथिल बालाजी को कैबिनेट से बर्खास्त करने पर उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि ये गलत है। कैबिनेट से किसी को बर्खाश्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है…भाजपा जिस तरह से राजनीति कर रही है, मुझे लगता है कि वो संविधान के खिलाफ है। हर राज्य जहां उनकी(भाजपा) सरकार नहीं है, वहां संविधान के खिलाफ जा रहे हैं।

 तमिलनाडु के राज्यपाल को पद से हटा देना चाहिए: मनीष तिवारी 
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी राष्ट्रपति को तुरंत तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि को पद से हटा देना चाहिए क्योंकि जो राज्यपाल अपनी संवैधानिक सीमाएं नहीं जानता, उसका पद पर रहने का कोई औचित्य नहीं है। भारतीय संविधान में धारा 164 कहती है कि संघ के मंत्री मुख्यमंत्री के सिफारिश पर नियुक्त किए जाते हैं। इसका मतलब ये है कि उन्हें हटाने का अधिकार भी मुख्यमंत्री को ही है। 

राज्यपाल टीएन रवि को घेरने पर विचार कर रही द्रमुक
तमिलनाडु मंत्रिमंडल से मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने के फैसले को वापस लेने के राज्यपाल टी एन रवि के कदम के बीच सभी राजनीतिक विकल्पों और कानूनी पहलुओं पर विचार कर सकती है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह बात कही। उन्होंने बताया कि द्रमुक आलाकमान इस मामले में कानूनी एवं राजनीतिक रणनीति तैयार करने के लिए अपने नेताओं और पदाधिकारियों से विचार-विमर्श कर सकता है। 

द्रमुक के एक पदाधिकारी ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि राज्यपाल अपने फैसले से पीछे हट गए हैं और उनका पूरी तरह से पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में द्रमुक को निशाना बनाने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हर चाल उल्टी पड़ रही है। सूत्रों ने कहा कि मामले में कानूनी पहलुओं या अन्य कदमों (मसलन, निलंबन को लेकर राजनीतिक हितों की संभावना और इसे विफल करने की जवाबी रणनीति) पर ‘तत्काल’ विचार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि फैसले पर अब रोक लगा दी गई है। 

कुछ घंटों बाद राज्यपाल रवि ने बाद अपना फैसला स्थगित कर दिया
बृहस्पतिवार को बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के कुछ घंटों बाद राज्यपाल रवि ने बाद अपना फैसला स्थगित कर दिया था। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि द्रमुक राज्यपाल की कथित ज्यादतियों के लिए उन्हें घेरने और सही समय पर तथा जरूरत पड़ने पर भाजपा से राजनीतिक रूप से लड़ने के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकती है। बालाजी की गिनती कोंगु क्षेत्र के प्रभावशाली नेताओं में होती है। कुछ साल पहले द्रमुक में शामिल होने से पहले वह ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) का हिस्सा थे।

बर्खास्त करने का फैसला कुछ ही घंटों बाद लिया वापस: द्रमुक 
द्रमुक ने शुक्रवार को दावा किया कि राज भवन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का फैसला कुछ ही घंटों बाद वापस ले लिया। द्रमुक से जुड़े अखबार ‘मुरासोली’ में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर बर्खास्तगी आदेश पर पांच घंटे के भीतर रोक लगा दी गई। पूरे घटनाक्रमों के बारे में बताते हुए खबर में कानूनी विशेषज्ञों और पार्टी नेताओं द्वारा फैसले के संबंध में की गई ‘कड़ी निंदा’ को रेखांकित किया गया। 

अटॉर्नी जनरल की राय के बाद बर्खास्तगी आदेश को स्थगित किया
खबर के अनुसार, आधी रात को सूचना आई कि मामले पर अटॉर्नी जनरल की राय जानने के लिए बर्खास्तगी आदेश को स्थगित किया जा रहा है। इसमें कहा गया है, ‘यह ध्यान देने योग्य है कि राज्यपाल के फैसले पर पांच घंटे के भीतर रोक लगा दी गई।’ राज्यपाल ने बृहस्पतिवार देर शाम मुख्यमंत्री को भेजे संचार में कहा था कि वह फैसले पर अटॉर्नी जनरल से विचार-विमर्श करेंगे और उनकी कानूनी राय जानेंगे। उन्होंने बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के फैसले के पीछे की वजहों के बारे में भी बताया था। 

नौकरी के बदले घूस मामले में ईडी ने बालाजी को ईडी ने किया था  गिरफ्तार 
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले घूस मामले में बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया था। वह तभी से अस्पताल में हैं। राज्यपाल ने मंत्रिमंडल से उनकी बर्खास्तगी के आदेश पर अमल पर अगली सूचना तक रोक लगा दी है। इस बीच, चेन्नई की सड़कों पर पोस्टर लगाए गए हैं, जिनके जरिये सवाल किया गया है कि ‘‘क्या गिंडी कुछ केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ लंबित मामलों और मंत्रिमंडल से उनकी बर्खास्तगी की मांग को लेकर दिल्ली को पत्र लिखेगा?” चेन्नई स्थित गिंडी का स्पष्ट संदर्भ राजभवन से माना जा रहा है।