1989 की तर्ज पर सामूहिक इस्तीफे के मूड में विपक्ष, इंडिया की बैठक में हो सकती है चर्चा

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नई दिल्ली : हमारे देश की राजनीति (Politics) में राजनीतिक दल (Political Party) अपने-अपने हिसाब से राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी को लेकर संसद (Parliament) में गतिरोध की स्थिति है। एक बार फिर सत्ता पक्ष की मनमानी और विरोधी दल (Opposition Party) के नेताओं को तवज्जो न देने के कारण 1989 की तरह लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा (Resignation) देने की बात चर्चा में आ रही है और माना जा रहा है कि इस संदर्भ में इंडिया गठबंधन की होने वाले बैठक में चर्चा हो सकती है। इस बारे में राजनीतिक दल के नेताओं में सुगबुगाहट शुरू हो गई है।

बताया जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का मानना है कि अगर सहमति बनी तो लोकसभा से सामूहिक स्थिति पर जैसा कदम उठाने के लिए विपक्षी दल के लोग राजी हो सकते हैं। हालांकि अभी इस मुद्दे पर विचार नहीं हुआ है, लेकिन आगामी इंडिया गठबंधन की बैठक में इस पर चर्चा हो सकती है।

विरोधी दल के नेताओं का मानना है कि संसद में सरकार और विपक्ष के बीच प्रतिरोध जारी है और दोनों सदनों को मिलाकर अब तक 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर 1989 की कहानी दोहराई जाने वाली है। 1989 में पहली बार ऐसा तब हुआ था जब राजीव गांधी की 400 से अधिक सांसदों वाली प्रचंड बहुमत की सरकार को बोफोर्स के मुद्दे पर घेरते हुए तत्कालीन विपक्ष ने सामूहिक इस्तीफा दिया था। उस समय भारतीय जनता पार्टी भी इस्तीफा देने वाले सांसदों की गोल में शामिल थी।

अब जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता पक्ष में है और कांग्रेस सहित तमाम दल विपक्ष में हैं, तो भारतीय जनता पार्टी की बहुमत की सरकार को घेरने के लिए बाकी दलों के द्वारा सामूहिक इस्तीफे की रणनीति बनाई जा सकती है। या मौजूदा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने के लिए कोई और नई रणनीति बना सकता है।

आज दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक होने जा रही है, जिसमें लोकसभा चुनाव की रणनीति के साथ-साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम, सामूहिक तौर पर प्रचार प्रसार और सीटों के तालमेल के साथ ही साथ संयोजक के चुनने के मुद्दे पर चर्चा होगी। इस बैठक में संसद में जारी प्रतिरोध और विपक्ष के सांसदों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही पर भी चर्चा की जाएगी।

आपको बता दें कि 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद भारतीय जनता पार्टी में तीन राज्यों में जबरदस्त बहुमत से सरकार बनाई है। इसको लेकर पार्टी और भी ज्यादा जोश में है। वहीं इंडिया गठबंधन के नेता इसको लेकर आत्ममंथन और अपने दावे पर पुनर्विचार करने वाले हैं। 

इस बारे में जनता दल यूनाइटेड के महासचिव और मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का मानना है कि अगर सारे दलों के नेता राजी हुए तो सामूहिक स्थिति पर विचार किया जा सकता है। 1989 में भी ऐसी स्थिति बनी थी, जब राजीव गांधी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार ने सांसदों की आवाज दबाने की कोशिश की कोशिश की थी तो समूचे विपक्ष ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद जब 1989 में लोकसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस को हार मिली और विश्वनाथ प्रताप सिंह ने राष्ट्रीय मोर्चे की गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था। इस गठबंधन सरकार को वाम मोर्चे के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी ने भी समर्थन दिया था।

हालांकि सामूहिक इस्तीफे के निर्णय पर अभी भी कांग्रेस पार्टी का कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं हो रहा है। उन्हें लगता है कि यह सब सारी चीजें इंडिया गठबंधन के बैठक में ही तय होनी चाहिए, ताकि वहां बैठे शीर्ष नेता इस पर आम सहमति बना सकें। इसीलिए कांग्रेस पार्टी का कोई भी बड़ा नेता इस पर अपना कमेंट देने से कतरा रहा है।