Parliament Winter Session

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नई दिल्ली. संसद (Parliament) ने समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं के पंजीकरण को आसान बनाने से संबंधित ‘प्रेस और नियतकालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक, 2023’ (Press and Registration of Periodicals Bill 2023) को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी। लोकसभा में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा विधेयक पर हुई चर्चा का विस्तृत जवाब दिये जाने के बाद निचले सदन ने इस विधेयक पर अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा इस विधेयक को मानसून सत्र में ही पारित कर चुकी है।

ठाकुर ने विधेयक के जरिये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन के विपक्ष के आरोप को निराधार करार देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का एक जिम्मेदार मंत्री होने के नाते मैं यह कह सकता हूं कि 75 साल में प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समय ‘अब’ है।”

उन्होंने एआईएमएआईएम के एक सदस्य की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि गैर-कानूनी कार्य करने वाले व्यक्ति को समाचार-पत्र या पत्रिका के पंजीकरण का अधिकार क्यों मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को अखबार नहीं चलाना चाहिए, बल्कि उसे ‘जेल में चक्की चलानी’ चाहिए। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान 2011 में एक विधेयक लाये जाने की चर्चा करते हुए कहा कि तत्कालीन सरकार ने इस दिशा में कुछ नहीं किया।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस की सरकार का काम था- अटकाना, लटकाना, भटकाना और फाड़ना। राहुल गांधी ने तो अपनी ही सरकार का अध्यादेश फाड़ दिया था।” उन्होंने कहा कि यह विधेयक गुलामी की मानसिकता से बाहर निकालने से संबंधित एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि यह मसौदा कानून प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण (पीआरबी) अधिनियम, 1867 का स्थान लेगा, जो ब्रिटिशकाल में अस्तित्व में आया था।

ठाकुर ने कहा, “पहले पत्र-पत्रिकाओं के पंजीकरण के आठ चरण होते थे। अब आठ महीने का समय नहीं लगेगा, बल्कि दो महीने में समाचार पत्र और पत्रिका के प्रकाशन की अनुमति मिलेगी…अब जिला अधिकारी और आरएनआई के पास एक ही समय पर आवेदन किया जा सकता है। अगर 60 दिन में जिला अधिकारी अनुमति नहीं देते तो आरएनआई पंजीकरण कर देगा।” ठाकुर का कहना था कि पहले के कानून में मौजूद पांच में से चार आपराधिक प्रावधानों को हटा दिया गया है, जो कारोबारी सुगमता से जुड़ा कदम है। (एजेंसी)