वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वाराणसी (Varanasi) में स्वर्वेद महामंदिर (Swaraveda Mahamandir) का उद्घाटन किया है। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। वाराणसी से गाजीपुर की ओर जाने वाली सड़क के किनारे स्थित इस मंदिर की कई विशेषताएं हैं।
#WATCH | PM Modi inaugurates the newly built Swarved Mahamandir in Umaraha, Varanasi
Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath also present pic.twitter.com/ISNPEBJAt1
— ANI (@ANI) December 18, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 180 फीट ऊंचे साथ मंजिलों वाले स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर है। स्वर्वेद महामंदिर के संगमरमर वाली दीवारों पर स्वर्वेद के लगभग 4000 दोहे लिखे हुए हैं।
#WATCH | PM Modi inaugurates and visits the newly built Swarved Mahamandir in Umaraha, Varanasi, UP pic.twitter.com/K4LeRtYkBg
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बताया जा रहा है कि इसको तैयार करने के लिए 19 साल तक लगातार 600 कारीगरों और 200 मजदूरों के साथ-साथ 15 इंजीनियर मेहनत करते रहे, तब जाकर महामंदिर का सपना पूरा हुआ है।
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी में बताया जा रहा है कि महामंदिर का प्रथम तल ही आम जनता के लिए खोला जाएगा क्योंकि पूरा मंदिर और आकर्षक और भव्य रूप में तैयार होने में लगभग 2 साल का समय और लगेगा।
#WATCH वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “इस पावन अवसर पर यहां 25 हज़ार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। मुझे खुशी और विश्वास है कि इस महायज्ञ की हर एक आहूति से विकसित भारत का संकल्प और सशक्त होगा।” https://t.co/E4J9Yvd0JN pic.twitter.com/uCHYU7DL60
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बनारस शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर उमरहा इलाके में बनाया गया स्वर्वेद महामंदिर का निर्माण दिसंबर 2004 में शुरू हुआ था। स्वर्वेद महामंदिर विश्व का अद्वितीय आध्यात्मिक केंद्र बनाया जा रहा है। 182 फीट ऊंचे और 80 हजार वर्गफीट क्षेत्र में निर्मित मंदिर में एक साथ 20 हजार साधक योग और साधना कर सकेंगे। इस महामंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे, वेदों के मंत्र और संतों की वाणियों को सफेद मकराना संगमरमर पर उकेरा गया है।
7 तल वाले महामंदिर के हर तल पर सद्गुरुदेव की संगमरमर की सुंदर मूर्ति भी लगायी गयी है। स्वर्वेद महामंदिर धाम के दरवाजे विश्व के सभी वर्ग-संप्रदाय के लिए खुले रहेंगे। महामंदिर के भीतर 404 खंभों और 6 मंचों पर जीवंत नक्काशी करके सुंदर कलाकारी और भारतीय कला का परिचय देने की कोशिश की गई है। भीतर की छतों पर नक्काशीदार गुंबद बनाए गए हैं। छत पर नक्काशीदार लकड़ी व कांच की कलाकृतियां भी देखी जा सकती हैं। महामंदिर का ढाई लाख वर्गफीट फर्श भी सफेद रंग के चमकने वाले संगमरमर से सुसज्जित है।
महामंदिर के हर एक तल पर बाहर की ओर सैंडस्टोन से बने कुल 134 आध्यात्मिक संदर्भ लगाकर आध्यात्मिक संदेशों और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को चित्र के माध्यम से उकेरने की कोशिश की गयी है। इसके साथ ही साथ मंदिर के सबसे ऊपर वाले तल पर 238 क्षमता वाले दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाए गए हैं। महामंदिर के भूतल में सत्संग भवन और साधना के लिए गुफाओं का निर्माण भी किया गया है, ताकि साधकों को बेहतर फीलिंग हो सके। दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए दो कैप्सूल लिफ्ट सहित चार लिफ्ट लगायी गयी, ताकि दर्शक व साधक महामंदिर में आसानी से सारे तल पर आ जा सकें।
#WATCH उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में कहा, “…आज हर भारतीय गौरव महसूस कर रहा है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है।” pic.twitter.com/8bWHxXiTjU
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आपको बता दें कि गुरु परंपरा को समर्पित इस महामंदिर को योग साधकों की साधना के लिए तैयार किया गया है। 100 करोड़ की लागत से तैयार मंदिर आम साधकों व श्रद्धालुओं के लिए आज से खुल गया है। संत प्रवर विज्ञान देव महाराज के द्वारा साझा की गयी जानकारी के अनुसार ग्राउंड फ्लोर पर सद्गुरु सदाफल महाराज के आध्यात्मिक जीवन पर आधारित प्रदर्शनी व गुफा, सत्संग हॉल बनाया गया है। इसके अलावा प्रथम तल पर स्वर्वेद प्रथम मंडल के दोहे एवं बाहरी दीवारों पर 28 प्रसंग जो वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत, रामायण की थीम लेकर बनाए गए हैं।
#WATCH वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो सदियों तक विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि और भौतिक विकास का उदाहरण रहा है…भारत ने कभी भौतिक उन्नति को भौगोलिक विस्तार और शोषण का माध्यम नहीं बनने दिया। भौतिक प्रगति के लिए भी हमने आध्यात्मिक और मानवीय… pic.twitter.com/lsP37pSZBE
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प्रथम तल से पांचवें तल तक आंतरिक दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे एवं बाहरी दीवारों पर उपनिषद, गीता, रामायण के प्रेरक प्रसंगों को चित्रित किया गया है। सातवें तल पर आधुनिक तकनीक से युक्त दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाए गए हैं। इसमें साधक विहंगम योग के सैद्धांतिक व क्रियात्मक बोध का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा परिपथ है और फौव्वारे लगाए गए हैं। बाहर वन्य जीवों हाथी, हिरन की प्रतिकृतियां गुलाबी सैंड स्टोन से बनाकर मंदिर को सुंदर स्वरूप दिया गया है। ए गए हैं।