Raghav Chadha issue of suspension time to meet Rajya Sabha Chairman

Loading

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा (Raghav Chaddha) ने शुक्रवार को कहा कि राज्यसभा से निलंबन के मुद्दे पर जल्दी मुलाकात के लिए उन्होंने उच्च सदन के

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) से मिलने का समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को चड्ढा को राज्यसभा के सभापति से मिलने और प्रवर समिति विवाद पर उनसे बिना शर्त माफी मांगने को कहा था। न्यायालय ने, साथ ही यह उम्मीद भी जताई कि सभापति इस पर ‘सहानुभूतिपूर्वक’ विचार कर सकते हैं।

चड्ढा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप राज्यसभा के माननीय सभापति से व्यक्तिगत रूप से मिलने का (शीर्ष अदालत को) वचन दिया था और इस पर अमल करते हुए मैंने संसद सदस्य के रूप में अपने निलंबन के संबंध में जल्दी मुलाकात का माननीय सभापति से समय मांगा है।”

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब से राज्यसभा सदस्य चड्ढा के वकील शादान फरासत की इन दलीलों का संज्ञान लिया कि पहली बार संसद पहुंचे और उच्च सदन के के सबसे कम उम्र के सदस्य, सभापति से माफी मांगने को तैयार हैं। 

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘वकील शादान फरासत का कहना है कि उनके मुवक्किल (चड्ढा) राज्यसभा में सबसे कम उम्र सदस्य हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि जिस सदन के वह सदस्य हैं, उसकी गरिमा को प्रभावित करने का उनका कोई इरादा नहीं है, श्री फरासत ने अनुरोध किया है कि याचिकाकर्ता राज्यसभा के सभापति से मिलने का समय मांगेंगे, ताकि वह बिना शर्त माफी मांग सकें, जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा सके।” 

चड्ढा 11 अगस्त से राज्यसभा से निलंबित हैं। कुछ सांसदों ने चड्ढा पर उनकी सहमति के बिना एक प्रस्ताव में उनका नाम जोड़ने का आरोप लगाया था, जिनमें से अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा के हैं। उस प्रस्ताव में विवादास्पद दिल्ली सेवा विधेयक की जांच के लिए प्रवर समिति के गठन की मांग की गई थी। यह आरोप लगाया गया था कि राज्यसभा सदस्य ने दिल्ली सेवा विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था।

उन्होंने कथित तौर पर कुछ सदस्यों को प्रस्तावित समिति के सदस्यों के रूप में नामित किया था। इसके बाद यह दावा किया गया था कि कुछ सांसदों ने इसके लिए अपनी सहमति नहीं दी थी। सभापति ने इस शिकायत पर ध्यान देते हुए विशेषाधिकार समिति की जांच लंबित रहने तक चड्ढा को सदन से निलंबित कर दिया था। (एजेंसी)