नई दिल्ली/बेलगावी. महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद (Maharashtra-Karnatka) के बीच, आज यानी बुधवार को कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव में यह घोषित किए जाने की अपार संभावना है कि महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद अब पूरी तरह से सुलझा लिया गया है। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 56 साल पुराने सीमा विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए प्रत्येक राज्य के तीन मंत्रियों के साथ एक समिति का गठन किया है।
प्रस्ताव होगा पारित
वहीं आज सम्भावना है कि, कर्नाटक विधानसभा के दोनों सदनों में महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। वहीं यहां के विधानमंडल ने राज्य के रुख को दोहराया कि यह मुद्दा सुलझा हुआ है और पड़ोसी राज्य को अब एक इंच भी जमीन नहीं दी जाएगी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को विधानसभा में सीमा विवाद पर एक बहस के दौरान स्वयं राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करने का सुझाव दिया था।
क्या था बोम्मई का कहना
दरअसल बोम्मई ने कहा था कि, “यदि सबकी सहमति हो तो हम सीमा मुद्दे पर बहस पर सरकार का जवाब देते हुए विधानमंडल के दोनों सदनों में राज्य के रुख को दोहराते हुए एक प्रस्ताव पारित करेंगे। हम ऐसे कई प्रस्ताव पहले ही पारित कर चुके हैं, हम इसे दोहराएंगे.” वहीं विपक्ष के नेता सिद्धरमैया सहित सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की थी। सिद्धरमैया ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा तह कि किसी विवाद का कोई सवाल ही नहीं है, और सीमा का मुद्दा पहले ही महाजन आयोग की रिपोर्ट के साथ सुलझा लिया गया है।
जब बैन के बावजूद कर्नाटक पहुंचे शरद पवार
वहीं बीते मंगलवार को बोम्मई ने जून 1986 की एक घटना को याद किया था, जब NCP के शरद पवार, कर्नाटक में प्रवेश करने से प्रतिबंधित होने के बावजूद, बेलगावी आने में कामयाब हुए थे। जिसके बाद वो यहां के एक घर में जा छिपे थे और महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MES) और शिवसेना द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था।