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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता (Same-Sex Marriage ) देने से इनकार कर दिया ओर कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है। शीर्ष अदालाटके इस फैसले का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने स्वागत किया और कहा कि संसद इसके अनेक पहलुओं पर चर्चा कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है।

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘समलैंगिक विवाह पर उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है। हमारी लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली इससे संबंधित सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है।” 

उल्लेखनीय है कि सर्वाच्च अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर सुनवाई की। 

इस मामले में फैसला सुनते हुए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।