नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता (Same-Sex Marriage ) देने से इनकार कर दिया ओर कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है। शीर्ष अदालाटके इस फैसले का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने स्वागत किया और कहा कि संसद इसके अनेक पहलुओं पर चर्चा कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘समलैंगिक विवाह पर उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है। हमारी लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली इससे संबंधित सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है।”
#WATCH | Supreme Court decision on same-sex marriage | Nagpur: RSS leader Sunil Ambekar says, "RSS welcomes the decision given by the Supreme Court on same-sex marriage. It is correct that the parliamentary system in our democratic system is capable of addressing many issues… pic.twitter.com/w5tXLo0Vkl
— ANI (@ANI) October 17, 2023
उल्लेखनीय है कि सर्वाच्च अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर सुनवाई की।
इस मामले में फैसला सुनते हुए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय कानून नहीं बना सकता, बल्कि उनकी केवल व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है।