नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) के बीच हालात नाजुक होने की वजह से भले ही बॉर्डर पर बेहद सख्ती बरती जाती हो लेकिन दोनों देशों को सरहद (Border) से ही कोई जोड़ने का काम वर्षों से करता रहा है। हम बात कर रहे हैं इन दोनों देशों के लोगों के लिए सरहदों का रास्ता आसान बनाने वाली ट्रैन (Train) की। जिसका नाम भी दिल छू लेने वाला है।
भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली इस ट्रेन का नाम ‘समझौता एक्सप्रेस (Samjhauta Express)’ है। भारत में यह ट्रेन दिल्ली (Delhi) से पंजाब (Punjab) स्थित अटारी (Atari Station) तक जाती थी। अटारी से वाघा बॉर्डर (Wagah Border) तक तीन किलोमीटर की सीमा पार करती थी। इस दौरान बीएसएफ के जवान घोड़ागाड़ी से इसकी निगरानी करते हैं। सीमा पार करने के बाद यह ट्रेन पाकिस्तान के लाहौर जाती थी।
‘समझौता एक्सप्रेस’
भारत से यह दो बार- बुधवार व रविवार को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से रात 11.10 बजे निकलती है। इसके लिए पुरानी दिल्ली अलग से प्लेटफॉर्म बनाया गया है। इस ट्रेन में दाखिल होने से पहले गहन पड़ताल के बाद यात्रियों को इस ट्रेन में बिठाया जाता है। समझौता एक्सप्रेस में कुल छह शयनयान और एक वातानुकूलित तृतीय श्रेणी (3rd AC) कोच हैं। दिल्ली से निकलने के बाद अटारी तक बीच में इसका कोई स्टॉपेज नहीं है। बताया जाता है कि इसे भारतीय रेल की राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस व अन्य प्रमुख ट्रेनों के ऊपर तरजीह दी जाती है ताकि इसमें कोई देर ना हो।
कैसे हुई शुरुआत
समझौता एक्सप्रेस की नींव 1971 में रखी गई। उस वक्त भारत-पाक युद्ध के बाद हुए दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुए शिमला समझौता हुआ था जिसमें दोनों देशों ने आपस में फिर से रेल सेवा को बहाल करने पर सहमति जताई थी।
बता दें, भारत-पाक के बीच समझौता एक्सप्रेस से भी पहले रेल सेवा थी। जो की समझौता एक्सप्रेस से ज्यादा व्यापक थी। लेकिन 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान सेना के जवानों ने रेल की पटरियां उखाड़ फेंकी थीं।
क्यों टुटा समझौता?
विभाजन के बाद दोनों देशों को एक रखने के लिए भारत-पकिस्तान के बीच ‘समझौता एक्सप्रेस’ शुरू की गई थी। 1971 में हुए बांग्लादेश युद्ध के परिणामों को देखते हुए ‘शिमला समझौता’ किया गया था। इस शांति की संधि में ‘समझौता एक्सप्रेस’ को शुरू करने का निर्णेय लिया गया था। दोनों देशों को जोड़कर रखने के लिए इस रेल यात्रा शुरू किया गया था। इस कारण से इस ट्रेन को ‘शांति का सन्देश’ भी कहते थे। लेकिन काई कारणों से, 8 अगस्त, 2019 को समझौता एक्सप्रेस की सेवा हमेशा के लिए बंद कर दी गई।
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट
फरवरी 2007 समझौता एक्सप्रेस में एक जबर्दस्त धमाका हुआ। इसमें 68 लोगों की मौत हो गई और 12 लोगों के घायल होने का दावा किया जाता है। तब ट्रेन दिल्ली से लाहौर के लिए निकली थी। मारे गए लोगों में अधिकांश पाकिस्तानी मूल के लोग थे।
इसके अलावा 8 अक्टूबर 2012 में लाहौर से दिल्ली आते वक्त वाघा बॉर्डर पर जांच के दौरान 100 किलो हेरोइन और गोला बारूद भी जब्त किए गए थे.
टुटा लोगों का सहारा
भारत और पाकिस्तान के लोगों के लिए एक-दूसरे के यहां जाने का बड़ा ज़रिया मानी जाती थी। दोनों देशों के नागरिक अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए इसी का सहारा लेते थे। समझौता एक्सप्रेस के बंद होने के बाद लोगों ने हवाई यात्रा का रुख करने लगे है।