नई दिल्ली. तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) की युवा इकाई के सचिव एवं राज्य के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन (Udayanidhi Stalin) के ‘सनातन धर्म को खत्म कर देना चाहिए’ वाली टिप्पणी पर बवाल खड़ा हो गया है। इसी बीच दिल्ली के एक वकील की और से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें उदयनिधि के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई।
उदयनिधि स्टालिन ने हाल ही में सनातन धर्म की तुलना मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना से की थी और कहा था कि सनातन धर्म को खत्म कर देना चाहिए। जिसके बाद से उनकी काफी आलोचना हो रही है। हालांकि, वे अपने बयान पर कायम है। अभी तक उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। ऐसे में दिल्ली के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
Delhi-based lawyer files in the Supreme Court an application seeking FIR against Tamil Nadu Minister and DMK leader Udhayanidhi Stalin for his remarks calling for the eradication of ‘Sanatana Dharma’.
The application also seeks contempt of court action against Delhi and Chennai… pic.twitter.com/9Q9u7ztmWO
— ANI (@ANI) September 7, 2023
वकील विनीत जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि वह सनातन धर्म के अनुयायी हैं और उदयनिधि के नफरती भाषण से बेहद दुखी हैं। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश के संदर्भ में नफरत फैलाने वाले भाषण के लिए स्वत: संज्ञान एफआईआर दर्ज नहीं करने के लिए दिल्ली और चेन्नई पुलिस के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की भी मांग की गई है।
गौरतलब है कि उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितंबर को चेन्नई में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट एसोसिएशन के सनातन उन्मूलन सम्मेलन में कहा, “मुझे विशेष संबोधन देने का अवसर देने के लिए मैं इस सम्मेलन के आयोजकों को धन्यवाद देता हूं। आपने सम्मेलन का नाम ‘सनातन विरोधी सम्मेलन’ के बजाय ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ रखा है, मैं इसकी सराहना करता हूं।”
उन्होंने कहा, “कुछ चीजें हैं जिनका हमें उन्मूलन करना है और हम केवल विरोध नहीं कर सकते। मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना, ये सभी चीजें हैं जिनका हम विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें मिटाना है। सनातन भी ऐसा ही है।” उन्होंने कहा, “सनातन को खत्म करना और उसका विरोध न करना हमारा पहला काम होना चाहिए।”उन्होंने कहा, “सनातन क्या है? सनातन नाम संस्कृत से आया है। सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। सनातन का अर्थ ‘स्थायित्व’ के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे बदला नहीं जा सकता। कोई भी सवाल नहीं उठा सकता। सनातन का यही अर्थ है।”