सोनिया-मायावती की ना, लेकिन दुविधा में अखिलेश, लोकसभा चुनाव में होगा इसका ‘कितना’ असर..!

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नई दिल्ली : राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Ram Mandir Pran Pratishtha Samaroh) में तमाम दिग्गज नेताओं के साथ-साथ देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को भी आमंत्रित किया गया है, लेकिन कई लोग इस कार्यक्रम में निमंत्रण मिलने के बाद भी आने से परहेज कर रहे हैं, क्योंकि भारी भीड़ के मद्देनजर उनके प्रोटोकॉल को मेंटेन करना काफी मुश्किल हो जाएगा। वहीं कुछ लोग राजनीतिक कारणों से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से परहेज कर रहे हैं। इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी खूब हो रही है। सारे मामले को लोकसभा चुनाव 2024 से जोड़कर देखा जा रहा है। इसीलिए हर बयान व एक्शन पर तगड़ा रिक्शन भी देखने को मिल रहा है। 

एक ओर वहीं विश्व हिंदू परिषद इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए अपनी ओर से पूरी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। तो वहीं कुछ लोग इसे भाजपा का कार्यक्रम बताकर राजनीतिक स्वरूप देने की कोशिश कर रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद ने शनिवार को बयान जारी करके बताया कि बसपा के प्रमुख मायावती के साथ-साथ अखिलेश यादव को भी कोरियर से निमंत्रण पत्र भेजा गया है। मायावती ने निमंत्रण पत्र स्वीकार कर लिया है, लेकिन वह कुछ निजी कारणों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगी।

ऐसा देखा जाता है कि बसपा प्रमुख हिंदू मंदिरों में जाने से कतराती रही हैं। इसके पीछे राजनीतिक कारणों के साथ-साथ उनके कई निजी कारण भी हैं। वहीं अखिलेश यादव ने निमंत्रण नहीं मिलने की बात कही है। ऐसे में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने मीडिया से कहा कि अखिलेश यादव को भी कोरियर द्वारा निमंत्रण भेजा गया था। उसे पर कोई विवाद नहीं है। अगर उनके दावे के मुताबिक उनको निमंत्रण पत्र नहीं मिला है, तो हम उन्हें दोबारा निमंत्रण पत्र भेज सकते हैं। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है। 

Ayodhya-Ram-mandir
अयोध्या राम मंदिर

अखिलेश यादव दुविधा में

ऐसा लगता है कि सपा के मुखिया अखिलेश यादव दुविधा में हैं। वह इस कार्यक्रम में शामिल भी होना नहीं चाहते हैं और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का राजनीतिक लाभ अकेले भाजपा को नहीं उठाने देना चाहते हैं। लेकिन अपने मुस्लिम वोट बैंक की चिंता से वह चाहकर भी इस कार्यक्रम में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। 

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अखिलेश यादव

प्रोटोकॉल का हवाला

आलोक कुमार ने देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ को भी 22 जनवरी के समारोह के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वहां से आई जानकारी के अनुसार देश के दोनों संवैधानिक प्रमुख अपने प्रोटोकॉल की वजह से राम मंदिर ट्रस्ट के इस कार्यक्रम में आने में असमर्थ हैं। कार्यक्रम के बाद अपनी सुविधाजनक तारीख पर अयोध्या आने का प्लान बनाएंगे।

आपको याद होगा कि इसके पहले राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से मिले निमंत्रण पत्र पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने अयोध्या के कार्यक्रम में निमंत्रण मिलने के बाद भी वहां जाने से मना कर दिया था। कांग्रेस के नेताओं की इस पहल की कई लोगों ने निंदा की है और यह भी कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह बोले

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण कार्यक्रम में शामिल होने में किसी को कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने खुद कहा कि दुनिया भर के एक अब हिंदुओं द्वारा इस उत्सव को मनाया जा रहा है। एक रघुवंशी होने के नाते वह इस निर्माण कार्य में 11 लाख रुपए का व्यक्तिगत दान दे रहे हैं। साथ ही साथ 93 साल की उम्र में ऐसे कार्यक्रम में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है। हालांकि उनका पूरा परिवार मिलकर जम्मू में रघुनाथ जी मंदिर में एक विशेष उत्सव का आयोजन कर रहा है।

कांग्रेस पार्टी को भुगतना होगा खामियाजा 

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के सगे भाई लक्ष्मण सिंह ने कहा कि चुनाव परिणाम में कांग्रेस पार्टी को राम मंदिर कार्यक्रम न जाने का कांग्रेस पार्टी को खामियाजा भुगतान पड़ सकता है। जैसे चुनाव परिणाम अभी आ रहे हैं वैसे आगे भी आते रहेंगे। कांग्रेस पार्टी को याद रखना चाहिए कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही राम मंदिर का ताला खुलवाया था और उसे वक्त के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने राम मंदिर न्यास को 46 एकड़ जमीन देने का वादा किया था। दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं को सोचना चाहिए कि हमारी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी से है, ना कि राम मंदिर से।

हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयान का जवाब देने के लिए कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता 15 जनवरी को अयोध्या जाने की योजना पर काम कर रहे हैं ताकि जो लोग अयोध्या जाना चाहते हैं वह उसके पहले जाकर सरयू में डुबकी लगा सकें।

श्री राम मंदिर ट्रस्ट के द्वारा अन्य आमंत्रित अतिथियों में देश के बड़े उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों, अभिनेताओं के साथ-साथ सेना के बड़े अधिकारियों को भी आमंत्रित किया है। इसके अलावा दलाई लामा, बाबा रामदेव, उद्योगपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी के साथ-साथ अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, माधुरी दीक्षित जैसे तमाम कलाकारों को भी आमंत्रित करके इस कार्यक्रम को भव्य बनाने की कोशिश की गई है। इस सूची में टाटा ग्रुप और एलएनटी जैसी कंपनियों के प्रमुख को भी आमंत्रित किया गया है। सभी लोग इसमें शामिल होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।