नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने हाल ही में यूजीसी रेगुलेशन 2023 लॉन्च किया है। इस दौरान डीम्ड यूनिवर्सिटी (Deemed University) की स्थापना के लिए पात्रता मानदंड को सरल बनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थान जो 20 वर्ष से कम पुराने हैं, वे अब डीम्ड विश्वविद्यालय के दर्जे के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे और निजी विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह कार्यकारी परिषदें बनानी होंगी।
बता दें कि पहले उच्च शिक्षा संस्थान, जो 20 वर्ष से कम पुराने हैं, वे डीम्ड विश्वविद्यालय के दर्जे के लिए आवेदन करने के पात्र थे। हालांकि, अब संशोधित निर्देशों में बहु-विषयक इसे NAAC ग्रेडिंग, NIRF रैंकिंग और NBA ग्रेडिंग से बदल दिया है। यूजीसी विनियम 2023, Institutions deemed to be Universities 2019 के दिशा-निर्देशों की जगह लेंगे। इन गाइडलाइन को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप संशोधित किया गया है।
Hon’ble Education Minister Shri Dharmendra Pradhan today released the UGC (Institutions Deemed to be Universities) Regulations, 2023 in the presence of Prof. Jagadesh Kumar, Chairman, UGC and Shri Sanjay Murthy, Secretary (Higher Education), Ministry of Education.@dpradhanbjp pic.twitter.com/X4Gw1Iuaig
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) June 2, 2023
शिक्षा मंत्रालय की ओर से इस संबंध में एक ट्वीट भी किया गया है। UGC Regulations 2023: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थान जो 20 वर्ष से कम पुराने हैं, वे अब डीम्ड विश्वविद्यालय के दर्जे के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे और निजी विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह कार्यकारी परिषदें बनानी होंगी। प्रधान ने कहा कि नए सरलीकृत दिशानिर्देश विश्वविद्यालयों को गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करने, अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और हमारे उच्च शिक्षा परिदृश्य को बदलने में लंबे समय तक प्रभाव डालने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम केंद्र सरकार को विश्वविद्यालय के अलावा किसी भी संस्थान को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा देने का प्रावधान करता है। इस संबंध में नियमों का पहला सेट 2010 में अधिसूचित किया गया था और बाद में 2016 और 2019 में इन्हें संशोधित किया गया था।