SHAHNAWAZ-DIGVIJAY

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नयी दिल्ली. प्यार (Love) यूँ तो किसी परिचय का मोहताज नहीं है यह तो कभी भी किसी को भी हो सकता है। फिर इसमें क्या अमीर और क्या गरीब, हाँ प्यार धर्म,वर्ण और सामाजिक व्यवस्था से भी परे है। फिर लवेरिया के इस रोग से राजनेता भी उपवाद नहीं है। कहते हैं न कि मोहब्बत के आगोश में आकर इंसान को कुछ नजर नहीं आता, क्योंकि उसे तो फिर हर तरफ सिर्फ प्यार ही प्यार नजर आता है। फिर वो न हिंदू देखता और न मुसलमान न, सिख और ईसाई। हमारे देश में उन राजनेताओं (Politicians) के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने प्यार को अंजाम तक पहुंचाया, हाँ कुछ के कदम डगमगा भी जरुर गए। आइये जानते हैं कौन-कौन हैं वे राजनेता जिन्होंने धर्म की दीवार को तोड़ पाया अपना प्यार और वे लोग जिनका प्यार रह गया अधुरा। आइये जानते है ऐसे ही कुछ नेताओं की प्रेम कहानियाँ।

एम जी रामचंद्रन-जयललिता-शोभन बाबू प्रेम प्रसंग:

अगर राजनेताओं की प्रेम कहानियाँ देखें तो शायद सबसे पहले नाम आएगा एम जी रामचंद्रन-जयललिता का। इस प्रेमकहानी में तीसरा एंगल शोभन बाबू का भी था। खैर ये प्रेम कहानी कितनी आगे चली यह तो सभी को मालूम है पर फिर भी हम आपको कुछ वृतांत बता ही देते हैं। यूँ तो जयललिता फिल्मों में कभी काम नहीं करना चाहती थी। वह तो अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थीं। पढ़ाई में जयललिता वैसे भी बहुत बहुत तेज थीं। क्लास में सबसे आगे रहने वाली,फर्स्ट डिविजन में पास होने वाली।

वह तो बड़ी होकर वकील बनना चाहती थीं। जब हालात के चलते उन्हें जबरदस्ती फिल्मों में एक्टिंग करने के लिए आना पड़ा तो वह बहुत रोईं भी। हालांकि वहां उन्होंने शोहरत व कामयाबी के शिखरों को हासिल किया। लेकिन दुनिया के संघर्षों ने उन्हें निष्ठुर और निर्मम लौह महिला बना दिया, ऐसी महिला जो पैसा, ग्लैमर, सत्ता व राजनीति के हर खेल की माहिर खिलाड़ी देखते ही देखते बन गई। जिसके सामने पुरुष प्रधान दुनिया के पुरुष उनके क़दमोंलोटते थे। वह अंधी महत्त्वाकांक्षा, विराट अहंकार और विशुद्ध स्वार्थ का पर्याय भी बन गईं।

जब वह फिल्मों में आईं तो एमजी रामचंद्रन दक्षिण भारतीय फिल्मों के बड़े और जानेमाने स्टार थे। जल्दी ही वह उनकी जिंदगी में भी दाखिल हो गए। दोनों ने साथ में 28 हिट फिल्में दीं हैं। एमजी बाद में आगे जाकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने और AIDMK के सियासी दल के प्रमुख लेकिन एमजी जयललिता को अपने इशारों पर चलाते थे। कई बार उन्हें मन मारकर उनकी बात माननी होती थी। शायद वह अपने समय का इंतंजार कर रही थीं। ये जगजाहिर था कि जयललिता एमजी के साथ एक ऐसे रिश्ते में बंधी थीं जिसमें वह पत्नी की तरह उनकी बात सुनती थीं। लेकिन इस रिश्ते को आधिकारिक दर्जा कभी नहीं मिला था।

इसके बाद अपने फ़िल्मी करिअर के चरम पर एमजीआर को चुनौती देते हुए जयललिता ने तेलुगु फिल्म स्टार शोभन बाबू से अपनी नजदीकियां बना ली। फिर दोनों लिव इन रिलेशनशिप में भी रहने लगे। हालांकि कहा तो ये जाता है कि इन दोनों ने गुप्त विवाह भी कर लिया था, जिससे उन्हें एक बेटी भी हुई। हालांकि इसकी कोई वैधानिक पुष्टि नहीं होती लेकिन शोभन से उनके नजदीकी रिश्तों की पुष्टि तो हर कोई करता है। हालाँकि कहा जाता है एमजीआर लगातार दोनों के रिश्तों पर नजर रखे हुए थे। इस तरह की कोशिश कर रहे थे कि ये रिश्ता टूट जाए। दोनों शादी नहीं कर पाएं और ऐसा हुआ भी। आगे इस रिश्ते का ताना बाना चलता रहा और आगे जाकर जयललिता भी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री भी बनी। उनकी मृत्यु के बाद इन सब बेनामी रिश्तों को एक तरह कब्र भी मिल गयी।

दिग्विजय सिंह-अमृता राय की प्रेम कहानी: 

इस प्यार का अगला शिकार हुए दिग्विजय सिंह और अमृता राय जिन्होंने बाद में सबको उनकी कहानी पता चलने पर साल 2015 में शादी रचा ली। दरअसल तब बुजुर्ग दिग्विजय सिंह और अमृता की कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें एक वर्ष पहले सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर वायरल हो गई थीं, जिसके बाद दोनों को सोशल मीडिया में अपने रिश्ते की बात कबूल करनी पड़ी थी। वर्ष 2014 में अमृता और दिग्विजय सिंह सिंह की कुछ और निजी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपने रिश्ते की बात कबूली। इसके बाद अनेकों घृणित टिप्पणियां मिलने के बाद अमृता ने अपना ट्वीटरर अकाउंट बंद कर दिया था।

हालाँकि दिग्विजय सिंह ने उस समय चुनाव प्रचार अभियान के दौरान यह भी कहा था, ”अमृता और उनके पति ने आपसी सहमति से तलाक की अर्जी दायर की है। जैसे ही इस पर निर्णय होगा हम इसे औपचारिक रूप देंगे।” वहीं तब अमृता ने भी कहा था कि, “मैंने प्यार के लिए दिग्विजय सिंह से शादी की। मैंने उनसे पहले ही आग्रह किया कि वह अपनी संपत्ति अपने बेटे और बेटियों के नाम कर दें। मैं सम्मानित और प्रोफेशनल करियर की तरफ बढ़ते हुए उनके साथ नया जीवन शुरु करना चाहती हूं।” आपको यह जानकार अचरज होगा कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह की शादी भी उसी  वर्ष 2015 मई माह में हुई थी और उसी वर्ष दिग्विजय सिंह ने भी अमृता संग शादी की थी। गौरतलब है कि जयवर्धन का विवाह बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले स्थित डुमरिया के पूर्व राजा रणविजय शाही की पोती सृजाम्या शाही से हुआ है।

अब हम कुछ ऐसी प्रेम कहानियाँ भी देखेंगे जिसमे जाति-धर्म की दीवारें तोड़कर राजनेताओं ने अपने प्यार को पाया है:

शाहनवाज हुसैन-रेनू की कहानी:

बात करते हैं बीजेपी के मशहूर नेता शाहनवाज हुसैन की जिन्हें अपने प्यार को पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी । क्योंकि वे एक हिंदू लड़की से जो दिल लगा बैठे थे। शाहनवाज की लव स्टोरी तब शुरु हुई जब वे दिल्ली की DTC बसों में कॉलेज जाते थे। इसी रोज के सफर में उन्हें एक ऐसी लड़की रेनू नजर आई जिसके बारे में वे कुछ सोचने पर मजबूर हो गए। सफर में वे अक्सर उस लड़की से मिलते थे लिहाजा कुछ दिनों बाद वे उसका पीछा करने लगे और धीरे-धीरे मुलाकातें हुईं, बातें हुईं। शाहनवाज ने तो रेनू के परिवार वालों से भी अच्छा तालमेल कर लिया था। एक दिन जब शाहनवाज ने रेनू को अपना  का हाल-ए-दिल बताया तो वो बहुत ही गुस्सा हुई और हिंदू-मुस्लिम का हवाला देकर उन्हें साफ़ मना कर दिया। लेकिन प्यार तो वह पागलपन है जो क्या न करा लेता है। शाहनवाज ने भी हार नहीं मानी वे लगातार 9 साल तक रेनू की हां का इंतजार में लगे रहे।  आखिरकार रेनू मानी और 1994 में दोनों ने शादी कर ली। दोनों की शादी कराने में उमा भारती ने मुख्य भूमिका निभाई थी । उन्होंने ही दोनों के परिवार को कनविंस किया था। आज शाहनवाज हुसैन-रेनू के 2 बेटे हैं और वे सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे हैं।

उमर अब्दुल्ला-पायल की लव स्टोरी:

इसके बाद नंबर आता है जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला की लव स्टोरी का जो भी काफी चर्चाओं में रही। कहते हैं कि उनकी प्रेमकथादिल्ली की ओबेराय होटल से शुरु हुई थी। क्योंकि जिस वक्त वो पायल से रूबरू हुए थे तब वे भी वहीं काम किया करती थी। इसी बीच दोनों की एक दूसरे से नजदीकियां बढने लगी। इसके बाद साल 1994 में दोनों ने धार्मिक बंधनों को तोड़कर शादी कर ली थी। आज इनके 2 बेटे, जाहिर और जमीर हैं जो दिल्ली में ही रहते हैं। पायलअब दिल्ली में अपना ट्रांसपोर्ट का बिजनेस चलाती हैं। गौरतलब है की शादी के 17 साल बाद उमर अब्दुल्ला-पायल का तलाक हो गया है। बताया जाता है कि दोनों की शादी को लेकर कश्मीरी पंडित बहुत नाराज थे, जिस वजह से पायल कश्मीर में बहुत कम रह पाती थीं। बता दें कि सिख परिवार से ताल्लुख रखने वाली पायल के पिता मेजर जनरल रामनाथ सेना से रिटायर्ड हैं।