नई दिल्ली: भारत से करीब 100 साल पहले चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति (Annapurna Statue) को वापस लाया गया है। आज उत्तर प्रदेश में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की पुनर्स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की मौजूदगी में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर (Temple) में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की पुनर्स्थापना की जा रही है।
इस मौके पर सीएम योगी ने कहा, पहले भारत की मूर्तियां तस्करी के माध्यम से दुनिया में पहुंचा दी जाती थीं, भारत की आस्था आहत होती थी। आज ढूंढ-ढूंढ कर उन मूर्तियों को भारत वापस लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री अपने अमेरिका दौरे में ऐसी 156 मूर्तियां लेकर आए हैं।
पहले भारत की मूर्तियां तस्करी के माध्यम से दुनिया में पहुंचा दी जाती थीं, भारत की आस्था आहत होती थी। आज ढूंढ-ढूंढ कर उन मूर्तियों को भारत वापस लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री अपने अमेरिका दौरे में ऐसी 156 मूर्तियां लेकर आए हैं: वाराणसी में योगी आदित्यनाथ, UP CM pic.twitter.com/t17Ibk4pfm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 15, 2021
पिछले दिनों मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को यूपी सरकार को सौंपा गया था। इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Union Minister Smriti Irani) ने एक बयान में कहा था कि मां का मूर्ति स्वरुप काशी लौटने की तैयारी में है और ये हमारे लिए गौरव का विषय है। बता दें कि मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाड़ा से वापस भारत आने पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि जो मूर्तियां भारत से चोरी की गईं थी, या ले ली गईं थी, वे अब वापस आ गई है।
#WATCH उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की पुनर्स्थापना की जा रही है। pic.twitter.com/Wq6dF5RGwm
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अब तक 200 ऐसी मूर्तियां वापस लाई गई हैं। मां का मूर्ति स्वरुप काशी लौटने की तैयारी में है, ये हमारे लिए गौरव की बात है।वहीं दूसरी तरफ तब केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि, एक समय था जब भारत की परंपराएं टूटे हुए घड़े के समान रिसरिस कर देश के बाहर जा रही थी और आज उसको मरम्मत और मज़बूत करके वापस संजोने का काम हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि मां अन्नपूर्णा की जो मूर्ति आ रही है उसमें एक हाथ में खीर की कटोरी और एक चम्मच है। कहा जा रहा है कि यह मूर्ति 18वीं शताब्दी की है। जिसे 1913 में काशी के घाट से चुराया गया था। फिर यह अन्य देशों के जरिए कनाडा पहुंच गई।