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भारत में पेश होने वाले बजट

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नई दिल्ली: आने वाले इस 1 फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) छठी बार बजट (Budget 2024) पेश करने जा रही है। देश में इन दिनों चुनावी (Lok Sabha Election 2024) माहौल है। इसलिए इस बजट को चुनावी बजट भी कहा जा रहा है। संभावना है कि साल 2024 का यह बजट चुनावी मुद्दों को लुभाने वाला होगा। ऐसे में आने वाले वित्त वर्ष की सरकार की प्लानिंग 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में बताई जाएगी। 1 अप्रैल 2024 से नया वित्तीय वर्ष (Financial Year 2024-25) शुरू हो जाएगा।

क्या आपको पता है की भारत में कितने तरह के बजट है और उसमें क्या खासियतें है? नहीं न? तो चलिए आज हम आपको भारत में पेश होने वाले बजट के बारे में विस्तार से बताते है। आपको बता दें कि भारत में तीन तरह के बजट होते है। अधिशेष बजट (Surplus Budget), संतुलित बजट (Balanced Budget) और घाटे का बजट (Deficit Budget)। 

अधिशेष बजट (Surplus Budget)

सबसे पहले हम बात करते है अधिशेष बजट की। अगर कोई वित्तीय वर्ष में सरकार का राजस्व अनुमानित सरकार के खर्च से ज्यादा होता है तो उस बजट को अधिशेष बजट या Surplus Budget कहा जाता है। इसे समझाने के लिए आपको बता दें कि अगर सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स से जितनी इनकम हो रही है वह जन कल्याण पर सरकार के खर्च राशि से ज्यादा है तो यह सरप्लस बजट कहलाता है।जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस तरह का बजट देश की वित्तीय समृद्धि को दर्शाता है। सरकार कई बार महंगाई को कम करने के लिए इस बजट को लागू कर सकते हैं। ऐसे में अब यह देखना होगा क्या इस वर्ष यानी 2024 में यह अधिशेष बजट लागू होने की संभावना है। 

संतुलित बजट (Balanced  Budget)

सबसे पहले हम बात करते है संतुलित बजट (Balanced  Budget) की। दरअसल यदि किसी वित्तीय वर्ष के भीतर प्रत्याशित राजस्व प्रत्याशित खर्चों के बराबर हो तो उसे संतुलित बजट कहा जाता है। इस बारे में कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकारी खर्च सरकार की इनकम से नहीं होना चाहिए। बैलेंस बजट मंदी या वित्तीय अस्थिरता की गारंटी नहीं देता है। जाहिर सी बात है कि खर्च और इनकम बराबर रखना काफी चुनौती भरा काम होता है। इस संतुलित बजट की खासियत है कि इससे आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हो जाती है। वहीं यह सरकार के अविवेकपूर्ण खर्चों से भी बचता है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि बैलेंस बजट में मंदी या फिर बेरोजगारी जैसे कई समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। इसके अलावा कम विकसित देशों के लिए यह लागू नहीं होता है। इसकी वजह है कि यह आर्थिक विकास के दायरे को कम कर देता है। बैलेंस बजट सरकार द्वारा जन कल्याण (Public Welfare) के खर्च को रोक देता है। इस तरह यह बजट कुछ मायनों में अच्छा है तो कुछ मायनों में काफी मर्यादित भी है। 

घाटे का बजट (Deficit Budget)

अब बात करते हैं घाटे के बजट की यानी डेफिसिट बजट (Deficit Budget) की । अगर किसी विशेष वित्तीय वर्ष में सरकारी खर्च सरकार के राजस्व से ज्यादा होता है तो उसे डेफिसिट बजट कहा जाता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह बजट विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए सबसे उपयुक्त होता है। जी हां यह बजट विकास को बढ़ाने में भी मदद करता है। इस बजट के बाद सरकार देश में रोजगार दर को सुधारने या बढ़ाने की ओर ध्यान देते हैं।

इसके अलावा वस्तुओं और सेवाओं की मांग में भी तेजी देखने को मिली है। इसके अलावा हम आपको यह भी बता दें कि डेफिसिट बजट का नुकसान भी है। इसमें सरकार को जन कल्याण के लिए कर्ज लेना पड़ता है, जो आगे उनके लिए परेशानी भी साबित हो सकता है। इसके अलावा यह सरकार के अविवेकपूर्ण खर्चों को बढ़ाने में प्रोत्साहित भी करता है।  इस तरह घाटे का बजट कार्य करता है।