PM Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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मुंबई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को कहा कि उन्हें खुशी है कि संसद और राज्य विधायिकाएं ‘एक राष्ट्र, एक विधान मंच’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने यहां 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल अपने सदस्यों के आपत्तिजनक व्यवहार पर अंकुश लगाने के बजाय उनके समर्थन में उतर आते हैं। उन्होंने कहा कि यह संसद या विधानसभाओं के लिए अच्छी बात नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “वर्ष 2021 में, आपके साथ चर्चा के दौरान मैंने ‘एक राष्ट्र, एक विधान मंच’ के बारे में बात की थी। मुझे खुशी है कि हमारी संसद और राज्य विधानसभाएं अब ई-विधान और डिजिटल संसद मंचों के माध्यम से इस लक्ष्य पर काम कर रही हैं।”

‘एक राष्ट्र, एक विधान मंच’ परियोजना का उद्देश्य सभी विधानमंडलों की कार्यवाही को एक ही डिजिटल मंच पर उपलब्ध कराना है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि विधायिका की छवि उसके सदस्यों के आचरण पर निर्भर करती है। मोदी ने कहा, “एक समय था जब सदन में अगर कोई सदस्य नियम तोड़ता था और उस सदस्य के खिलाफ कार्रवाई होती थी तो सदन के वरिष्ठ सदस्य उनसे बात करते थे ताकि भविष्य में वह गलती को न दोहराएं और सदन के नियम न तोड़ें।”

मोदी ने विपक्ष पर कसा तंज

प्रधानमंत्री ने कहा, “लेकिन, आजकल कुछ राजनीतिक दल ऐसे सदस्यों के समर्थन में खड़े होते हैं और उनकी गलतियों का बचाव करते हैं। यह संसद या राज्य विधायिकाओं के लिए अच्छा नहीं है।” उन्होंने कहा कि अतीत में सदन के किसी सदस्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्हें सार्वजनिक जीवन से बाहर कर दिया जाता था, “लेकिन, अब हम दोषी भ्रष्ट व्यक्तियों का सार्वजनिक महिमामंडन देख रहे हैं, जो कार्यपालिका, न्यायपालिका और संविधान की अखंडता के लिए हानिकारक है।”

महिलाओं की भागीदारी और सुझावों पर चर्चा को प्रोत्साहन दें

नारी शक्ति वंदन अधिनियम (विधानमंडलों में महिलाओं के आरक्षण पर कानून) का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि विधानमंडलों में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से सुझावों पर चर्चा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति इसके राज्यों की उन्नति पर निर्भर करती है और राज्यों की प्रगति सामूहिक रूप से उनके विकास लक्ष्यों को परिभाषित करने के लिए उनके विधायी और कार्यकारी निकायों के दृढ़ संकल्प पर निर्भर करती है। उन्होंने आर्थिक प्रगति के लिए विधायी समितियों को सशक्त बनाने के महत्व पर कहा, “आपके राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए समितियों का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। ये समितियां निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जितनी सक्रियता से काम करेंगी, राज्य उतना ही आगे बढ़ेगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान उनकी सरकार ने 2,000 अनावश्यक कानूनों को खत्म कर दिया है। उन्होंने विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों से अनावश्यक कानूनों और लोगों के जीवन पर उनके प्रभाव पर ध्यान देने का भी आह्वान किया और इस बात पर जोर दिया कि उन्हें हटाने से महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। (एजेंसी)