कछुआ गति से चल रहा अमृत योजना का काम

  • मनपा प्रशासन की उदासीनता से तय समय में पूरा नहीं हुआ काम

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जलगांव. महानगर निगम प्रशासन की उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की कमीशनखोरी के कारण जलगांववासियों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. कछुआ गति से महानगर में तीन साल से अमृत योजना के तहत जलापूर्ति परियोजना का कार्य किया जा रहा है. इससे पहले भी कमीशन को लेकर महापौर के कक्ष में ठेकेदार और महापौर के पति से वाद-विवाद हुआ था. जो साबित करता है कि मनपा में जनप्रतिनिधि को कमीशन दिए बिना बिल मंजूर कराना और ठेका मिलना असम्भव है. इस तरह के भ्रष्टाचार का खामियाजा जलगांववासियों को भुगतना पड़ रहा है.

शहर में अमृत योजना के तहत तीन साल से काम चल रहा है. परियोजना का काम तय समयावधि में पूरा नहीं हो सका. योजना के टेंडर में खामियां होने से परियोजना पूरी नहीं हो पा रही है. इसके चलते अमृत योजना के नाम पर शहर के साढ़े पांच लाख नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. 

भ्रष्टाचार का खामियाजा भुगत रहे जलगांववासी

अमृत के नाम पर तीन साल से भी अधिक समय से शहर की सड़कों को उधेड़कर रख दिया गया है. पहले से ही सड़कों की खस्ता हालत है, इस पर पानी आपूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने के लिए सड़कों को खोदकर लोगों को उसमें गिरने  को छोड़ दिया गया है. अमृत परियोजना के लिए खोदी  गईं सड़कों पर बड़े-बड़े  गड्ढे हो गए हैं, जिसमें गिरकर नागरिक प्रतिदिन घायल हो रहे हैं. इस ओर मनपा और ठेकेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसके चलते शहर के नागरिकों को खराब सड़कों पर जान जोखिम में डालकर यात्रा करने पर विवश होना पड़ रहा है.

पाइप लाइन बिछाने खोदकर छोड़ दी गई हैं सड़कें

अमृत के नाम पर मनपा का नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का आरोप नागरिक लगा रहे हैं. नलों पर मीटर लगाने को लेकर मनपा और जीवन प्राधिकरण में ठनी हुई है. महानगर पालिका के अभियंता बोरोल ने स्थायी समिति की बैठक में कहा कि राज्य सरकार ने अपनी योजना में पानी के मीटर के बारे में कोई प्रावधान नहीं किया है. प्रकल्प अभियंता और मजिप्रा अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं. अमृत का पानी लोगों को मिलता है या नहीं, कहीं मीटर की लड़ाई में लंबित न हो जाए, इस तरह की चर्चाएं भी गर्म हैं.

नलों पर मीटर लगाने मनपा व जीवन प्राधिकरण में ठनी

इस योजना के लिए निविदा की मंजूरी व विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के बाद महानगर पालिका प्रशासन और मजिप्रा के तकनीकी अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे परिवर्तन, संशोधन, नए समावेशन आदि करें. यह अधिकारी खामियां दूर करने की बजाय एक-दूसरे पर जिम्मेदारी धकेल रहे हैं. जनप्रतिनिधियों पर भी यह  मामला धकेला जा रहा है. इसका खामियाजा शहर के साढ़े पांच लाख जलगांववासियों को भुगतना पड़ रहा है. 

24 घंटे जलापूर्ति की योजना

अमृत जलवाहिनी के तहत जलगांव के निवासियों को 24 घंटे जलापूर्ति की जाएगी. ऐसा बताया गया था. अमृत के तहत बिछाई जा रही पाइप लाइन में चौबीसों घंटे जलापूर्ति तो छोड़िये, लगातार दो दिन के बाद भी जलापूर्ति की क्षमता दिखाई नहीं दे रही है. योजना के काम में कई दोष है, जिससे नागरिकों को ठीक से जलापूर्ति कर पाना संभव ही नहीं है. काम की अवधि समाप्त होने के बाद भी रेलवे क्रॉसिंग के लिए लगभग ७ मिमी एमएस पाइप लाइन की रूपरेखा रखी हुई है. हालांकि 16 से 18 मिमी एमएस पाइप लम्बे समय तक चलने के  लिए जरूरी है. 

सड़कों को लेकर अधिकारियों में एक राय नहीं

हाईवे क्रॉसिंग पर भी पाइप लाइन बिछाने को लेकर महानगर प्रशासन और मजिप्रा में अलग-अलग धारा है. कहा जा रहा है कि यहां सीमेंट की पाइप लाइन बिछाई जाएगी. जलकुम्भ की ऊंचाई को लेकर  सवालिया निशान है. जलशुद्धिकरण केंद्र, पाइप लाइन बिछाने के लिए खुदवाए गए रास्तों की दुरुस्ती को लेकर भी अधिकारियों में दो राय सामने आ रही है.