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  • सरकार को चूना लगाने वालों पर होगी कार्रवाई
  • आवंटित मकानों को दूसरों को बेचा

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धुलिया. ज़िले में बड़े पैमाने पर आवास योजना के घरों में फर्जीवाड़ा किया गया है। आवंटन किए गए आवासों में मूल लाभान्वित व्यक्ति न रहते हुए अन्य किसी व्यक्ति को घर बेच कर सरकार और प्रशासन के साथ धोखाधड़ी करने का मामला सामने आने से प्रशासन की नींद उड़ गई है।

ऐसे व्यक्तियों पर गाज गिरेगी, इस तरह का फैसला ग्राम विकास अधिकारी उमाकांत बोरसे ने किया है। नियमों का उल्लंघन कर सरकारी निवासों में रह रहे परिवारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने आवंटित व्यक्तियों के घरों को किराए पर लिया या खरीदा है, जिसके चलते शहरों और गांवों में अतिक्रमण मुक्त होने का नाम नहीं ले रहा है। सरकारी योजना में आवास मिलने के बावजूद अतिक्रमण का मकान तोड़ने में नपा मनपा और स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन उदासीनता बरत रहा है, जिसके चलते आवास योजना में मिले घरों में लाभान्वित होने के बाद में लोग जाने को तैयार नहीं हैं।

मकान होने के बावजूद ले रहे लाभ

दलालों और सरकारी बाबुओं की मिलीभगत से तहसील में अनेक लोगों के पास गांव में अपना खुद का घर होने के बावजूद सरकारी योजना का लाभ उठा रहे हैं। ताकि कम दामों पर सरकारी योजना का आवास मिल सके और इसे मौज मज़े  के लिए दूसरे व्यक्ति को ऊंचे दामों पर बेच सकें। ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन ने कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का इशारा किया है। जिन्होंने सरकारी योजनाओं में धोखा देकर लाभ प्राप्त किया है। अब उनकी खैर नहीं होगी।वहीं असली लाभार्थियों को उनके हक का आवास नहीं मिल रहा है और अतिक्रमण जस का तस बना हुआ है।

सोनगीर ग्राम में अब तक 500 से अधिक परिवारों को सरकारी आवास योजना के तहत मकान मिल चुके हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में अनेक स्थानों पर परिवारों ने अतिक्रमण कर मकान और नई कॉलोनियां बनाई हैं। हालांकि लगभग 2,000 परिवारों ने प्रधानमंत्री और अन्य आवास योजनाओं के तहत ग्राम पंचायत में आवेदन किया है। इतनी बड़ी संख्या में बेघर कैसे हुए। यह जांच और संशोधन का विषय हो गया है।

लोगों को लूटने वालों का गिरोह सक्रिय

तहसील क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को आवास दिलाने का झांसा देकर रुपये लूटने वाले दलालों का गिरोह सक्रिय है।गरीबों और भोले लोगों से धन लूटने का गोरखधंधा तहसील में जोरों पर जारी है। इसी क्रम में कुछ ऐसे भी लोग शामिल हैं जो परिवार के सदस्यों के नाम पर मकान पाने का धंधा चला रहे हैं। गांव का पुश्तैनी मकान को ऊंची कीमतों पर बेचकर सरकारी योजनाओं में बेघर दिखा कर सरकारी योजनाओं में धोखाधड़ी कर रहा है और आवास को बिक्री कर पैसा कमाया जा रहा है।

अतिक्रमण करना बना व्यवसाय

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करना यहां के कई लोगों का व्यवसाय बन गया है। इस तरह से कई लोगों ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी आवास योजना के तहत, हजारों गरीब और बेघर परिवारों को यहां घर दिए गए थे।जिन्हें बिक्री कर मुफ्त मकान हड़प कर आर्थिक लाभ कमाया है। कई ने इसे बेच दिया। कुछ लोगों के पास तीन मंजिला इमारत होने के बावजूद गांव में घर हैं और उन्होंने इसे किराए पर दे रखा है। अभी भी हजारों व्यक्ति बेघर हैं। वास्तविक लाभार्थी अभी भी आवास से वंचित हैं। उन्हें अतिक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

घरों में न मिलें असली लाभार्थी तो करें सील

कई दिनों से मांग की जा रही है कि अगर मंजूर किए गए आवासों में असली लाभार्थी परिवार नहीं रहते हैं तो उन घरों को सील कर दिया जाना चाहिए और मूल मालिक और वर्तमान में वहां रहने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए।  इस तरह की मांग बेघर नागरिक कर रहे हैं। इस पर ध्यान देते हुए, ग्राम विकास अधिकारी बोरसे ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया है।