प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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  • कृषि उपज मंडी में मवेशियों की खरीद-फरोख्त बंद
  • कोरोना संक्रमण काल में दूध की खपत घटी
  • 20 से 22 रुपये प्रति लीटर बिक रहा दूध

जलगांव. कोरोना संक्रमण के कारण दूध की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. कृषि उपज मंडी में पशु बाजारों में पशुओं की खरीद और फरोख्त बंद है. वहीं चारे की बढ़ती लागत ने दूध उत्पादक किसानों को परेशानी में डाल दिया है, जिससे उन्हें पानी की कीमतों में दूध बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. पशुओं से प्राप्त खाद किसानों के लिए लाभदायक और आय अर्जित करने का  मुख्य स्रोत है. कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक संकट गहराने से मौजूदा स्थिति में दूध और खाद दोनों से किसानों को  नुकसान पहुंच रहा है. जिसके चलते डेयरी व्यवसाय एवं किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है.

डेयरी व्यवसाय पारंपरिक रूप से कई वर्षों से कृषि फार्म के रूप में प्रचलित हो गया है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में क्रॉसबीड गायों को पालने से डेयरी व्यवसाय फिर से उभरा है. तालुका में सैकड़ों गायों को पाल कर यह व्यवसाय किया जा रहा है. इसके अलावा डेयरी उत्पादों को तैयार किया जा रहा है. महामारी के दौरान दूध की खपत में गिरावट के कारण दरों में तेजी से गिरावट आई है.

आर्थिक संकट से घिरा दूध उत्पादक किसान

कोरोना संक्रमण के कारण स्थानीय बाजारों में मवेशियों की खरीद फरोख्त कृषि उपज मंडी प्रशासन ने बंद कर रखी है. इसके कारण किसान आर्थिक समस्या में घिर गया है. व्यवसाय के लिए लगने वाला चारा का मूल्य भी दूध की लागत से निकलना मुश्किल हो गया है. इसी तरह से गोबर से मिलने वाली खाद से भी किसानों को उपज नहीं मिल रही है. जिसके कारण किसानों को पानी के भाव दूध बेचने पर विवश होना पड़ रहा है.

बड़ी संख्या में दूध व्यवसाय से जुड़े हैं युवा

खेती बाड़ी के साथ पूरक व्यवसाय के रूप में डेयरी व्यवसाय को देखा जाता है. दूध की घटती दर के कारण यह कारोबार संकट में है. इसी कारण किसानों को 1 लीटर पानी की बोतल से कम दामों पर दूध बेचने पर विवश होना पड़ रहा है. बेरोजगारी से जूझ रहे अनेक युवाओं ने डेयरी दूध व्यवसाय को अपनाया था. लेकिन कोरोना ने किसानों के डेयरी कारोबार को खत्म कर दिया है, जिसके कारण दूध उत्पादक किसानों का आर्थिक गणित बिगड़ गया है.कोरोना संक्रमण के कारण वर्तमान में दूध दर 20 रुपये से 22 रुपये प्रति लीटर है. इस दर से पशुपालन किसानों को खर्च भी नहीं निकल रहा. लॉकडाउन से पहले, दूध लगभग 30-35 रुपये प्रति लीटर खरीदा जा रहा था. मई तक दूध की कीमत काफी अधिक थी. इसके बाद दूध की कीमत कम हो गई.

पशु आहार की निकल नहीं रही लागत

बोतलबंद पानी की तुलना में दूध की कीमत कम होने से दूध उत्पादक किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा, पशु आहार की लागत भी अधिक है, दूध उत्पादक किसानों के सामने अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि दूध का व्यवसाय करें या नहीं.

संक्रमण से शुरू लॉकडाउन के कारण दूध की खपत कम हो गई है. इससे दूध उत्पादक किसान आर्थिक संकट में घिर गया है. उसे इस संकट से बाहर निकालने के लिए बाजार में पशु खरीद-फरोख्त और डेयरी पर निर्भर व्यवसाय कारोबार को गति दी जानी चाहिए.

-दूध उत्पादक किसान