Roads in Raver-Yaval tehsil were in ruins

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वाहिद काकर

जलगांव. यावल तहसील (Yaval Tehsil) की सड़कें (Roads) खस्ताहाल होकर गड्ढों (Pits) में तब्दील हो गई है । प्रशासन (Administration) और लोक प्रतिनिधियों (Public Representatives) की लापरवाही से बद से बदहाल हुई सड़कों से वाहन चलाना ही नहीं, बल्कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। क्षेत्र की गंभीर हुई इस समस्या की ओर क्षेत्र के मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारियों का ध्यान नहीं है। गड्ढों में तब्दील हुई इस समस्याओं को लेकर लोगों ने कई बार शिकायतें की पर लोक प्रतिनिधि भी अनदेखी करते नजर आने से क्षेत्र के विकास पर बड़ा असर हुआ है।

रावेर और यावल तालुका में कई गांवों की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। निर्माण विभाग के अधिकारियों और विधायकों को इन सड़कों की पूरी स्थिति का पता है। इसके बावजूद वह कुंभकर्ण जैसी नींद में है। संबंधित निर्माण विभाग के अधिकारियों को सड़कों की मरम्मत के लिए समय नहीं है।

कई वर्षों से नहीं हुआ मरम्मत का काम

रावेर और यावल तहसील के गांवों में जानेवाली बहुत सी सड़कें खस्ताहाल है। बरसों से इन सड़कों का काम नहीं हुआ है। जहां हुआ वहां का काम ठीक से नहीं हुआ। इलाके की सड़कों को ठीक करने के लिए किसी ने ध्यान ही नहीं देने से सारी सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। सड़कों से किसानों को दिन-रात आना जाना पड़ता है। मजदूर, महिला, बच्चें और खासतौर से बीमार लोगों को अस्पताल सड़कों से लाते ले जाते समय लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

अधिकारी कर रहे अनदेखी

क्षेत्र की सड़कों की हालत नहीं सुधारी गयी तो जोरदार आंदोलन करने का निर्णय भी ग्रामीणों ने लिया है। रावेर और यावल इन तहसीलों के गांवों के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि संबंधित निर्माण विभाग के इंजीनियर, अधिकारी, विधायक और सांसद इसके बारे में जानते हुए भी पूरी तरह से सड़कों की ओर अनदेखी कर रहे हैं. संबंधित अधिकारी और पदाधिकारी भी समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। अधिकारी कोरोना महामारी के संकट को बताते हुए समय बर्बाद कर रहे हैं। रावेर-यावल तहसील के लोहारा से कुसुम्बा मार्ग का एक किलोमीटर का रास्ता बहुत अधिक खराब है। जानोरी से मोहमांडी बोरघाट फाटे तक का रास्ता भी खराब हो गया है। 

लोग कर रहे आंदोलन की तैयारी 

ऐसा कब तक चलेगा ऐसा सवाल करते हुए लोग बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारी कर रहें हैं। तहसीलों में कलमोदा, खिरोदा, आभोड़ा, मांगरुल, सावखेड़ा, लोहारा, न्हावी से हिंगोना, विरावली से चुनचाले, सावखेड़ा सिम, मालोद, हंबर्डी से  मारूल, बोरखेड़ा, तिड़या, अंधारमली,मोहमाडी, निमड्या, गारखेड़ा, क़ुसुम्बा से रावेर, मूंजलबाड़ी से रमजीपुरा, वढोदा से विरावली, पाल से गारखेड़ा ऐसे सारे आदिवासी इलाकों की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं।