- एक वर्ष से सरकार ने नहीं दी छात्रवृत्ति
- 300 कृषि विद्यालयों के कर्मचारी भुखमरी की कगार पर
जलगांव. कृषि विश्वविद्यालयों (Agricultural Universities) से जुड़े लगभग 300 कृषि विद्यालयों के 3000 कर्मचारियों को वेतन न मिलने के कारण 10 महीने से भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह से पिछड़े वर्ग से जुड़े छात्रों की छात्रवृत्ति का भी भुगतान गत वर्ष से नहीं किया गया है। खानदेश में कृषि विद्यालय राहुरी विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं और उनको भी इसी अवस्था से गुजरना पड़ रहा है। जिसके चलते निजी गैर-सहायता प्राप्त कॉलेजों में हजारों कर्मियों को आर्थिक समस्या से जूझना पड़ रहा है, जिसकी ओर कृषि मंत्रालय ने उदासीनता बरत रखी है।
छात्रवृत्ति के रूप में सरकार देती है शुल्क
इन तकनीकी स्कूलों में प्रत्येक में औसतन आठ से दस कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि विद्यालय लगभग सौ से सवा सौ छात्र पढ़ते हैं। जो लोग डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने में सक्षम नहीं हैं, उनके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं और कृषि विज्ञान की शिक्षा लेते हैं। अधिकांश पिछड़े वर्ग के छात्र तकनीकी स्कूलों में पढ़ते हैं, उनसे कोई शिक्षण शुल्क नहीं लिया जाता है। इस कोर्स के लिए शिक्षण शुल्क लगभग 27,000 रुपये है, जिसका भुगतान सरकार छात्रवृत्ति के रूप में करती है। इस आमदनी से स्कूल कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्च किए जाते हैं। कोरोना काल में राज्य भर के 292 स्कूलों के कर्मचारियों को दस महीने से छात्रवृत्ति नहीं मिली है। इस कारण से कर्मियों को वेतन का भुगतान भी नहीं किया गया है।
ऑनलाइन शिक्षा की पहल
कोरोना अवधि में सब कुछ थम गया था लेकिन कृषि विद्यालयों ने छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए भी पहल की है। इसके बावजूद, सरकार ने छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं किया है जिसके चलते कर्मचारी भूखे मर रहे हैं। इसी समस्या से कृषि महाविद्यालयों और निजी वित्तविहीन महाविद्यालयों में छात्रवृत्ति नहीं मिलने के कारण शिक्षक और कर्मी परेशान हैं। खानदेश में कृषि विद्यालय राहुरी विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं और उनकी यही स्थिति है।
- 4 कृषि विश्वविद्यालय
- 292 संबद्ध तकनीकी स्कूल
- 3000 कर्मचारी विद्यालयों में कार्यरत
- 25000 विद्यार्थी
10 महीने से कृषि तकनीकी विद्यालय के कर्मचारी छात्रवृत्ति सरकार द्वारा नहीं देने के कारण बिना वेतन के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। तत्काल भुगतान के बारे में राहुरी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को एक पत्र दिया है।
– नितिन विसपुते, प्राचार्य, कृषि तकनीकी विद्यालय, नंदुरबार