सावन माह के बाद आने वाला भाद्रपद मास हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्व रखता है. इस माह में बहुत सारे त्यौहार आते हैं. जिनमें से गणेश उत्सव और जन्माष्टमी मुख्य हैं. भाद्रपद महीने को भादो भी कहते हैं. भादो में स्नान, दान तथा व्रत करने से बहुत पुण्य मिलता है, और पापों का विनाश होता है. इस महीने में लोक व्यवहार के कार्य निषेध होने से, यह शून्य मास भी कहलाता है.
भाद्रपद माह में त्यौहार:
भाद्रपद माह में अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं. भादो में गणेश चतुर्दशी का लोग बेहद आनंद उठाते हैं. इस माह में श्री कृष्ण, बलराम और राधा रानी का भी जन्म उत्सव मनाया जाता है. इसके अलावा इस माह में महिलाएं गाय तथा उसके बछड़े की पूजा विशेष रूप से करती हैं. पूजा के बाद अपने बच्चों को प्रसाद स्वरूप सुखा नारियल देती हैं. यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की सुख शांति के लिए करती हैं.
भाद्रपद महीने का महत्व:
मान्यता के अनुसार भद्रापद माह चातुर्मास के चार पवित्र महीनों में से दूसरा महीना है. भादो में विवाह, नए घर का निर्माण, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. ऐसे में अपनी गलतियों को याद कर उनके प्रायश्चित करना ही सर्वोत्तम माना गया है. इस माह में भक्ति, स्नान, दान और उपवास करने से पापों का विनाश होता है. शास्त्रों के मुताबिक भाद्रपद के महीने में कुछ कामों को वर्जित माना गया है और साथ ही कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन करने का भी निषेध बताया है.
क्या ना खाएं:
भादो में गुड़ और दही ना खाएं इससे स्वस्थ बिगड़ सकता हैं, तिल के तेल का भी सेवन न करें, कहा जाता है कि इससे उम्र घटती है. दूसरों का दिए चावल का भी सेवन न करें, माना जाता है कि इससे लक्ष्मी कम होने लगती है.
इस माह में क्या करें:
भादो माह में पानी में गौमूत्र डालकर नहाने से पाप नष्ट होते हैं. इस माह गाय का घी खाने से पुष्टि मिलती है और गाय का ही दूध पीने से वंश में वृद्धि भी होती है. मक्खन का सेवन करने से उम्र बढ़ती है.
-मृणाल पाठक