आज यानी 12 अगस्त को देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. हिंदुओं के लिए यह त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण है. हिंदी पंचांग के अनुसार भगवान कृष्ण को समर्पित ये पावन त्यौहार, हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है. वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में ही पड़ता है. इस दिन कान्हा की विधि विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भोग लगाया जाता है.
पूजन विधि- माखन चोर अर्थात श्री कृष्ण का जन्म रात में 12 बजे के बाद होता है. ऐसे में 12 बजे के बाद ही बाल कृष्ण की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें. सबसे पहले दूध, बाद में दही, फिर गाय का देसी घी, फिर शहद से भी उनका स्नान करें और अंत में गंगाजल से उनका अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाएं. उसके बाद उन्हें स्वच्छ आसान पर बिठाएं और उनका पूर्ण श्रृंगार करते हुए, उनके हाथों में चूड़ियां, गले में वैजयंती माला और पैरों में पैजनिया पहनाएं. साथ ही सिर पर एक मोरपंख लगा सुंदर मुकुट भी पहनाएं और उनके पास एक सुंदर सी बांसुरी भी रखें. उनकी प्रतिमा पर चंदन और अक्षत लगाते हुए, उनके समक्ष धूप-दीप जलाएं और उनकी पूजा करें. इसके बाद उन्हें भोग अर्पण करें. लेकिन ध्यान रहे, भोग की सभी वस्तुओं में तुलसी के कुछ पत्ते जरूर होने चाहिए. उसके बाद भगवान को एक झुले पर बिठाकर, एक-एक करके घर के सभी सदस्य उन्हें झुला झुलाएं. रातभर भगवान कृष्ण की पूजा करें. अंत में जिन पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया था उसे सभी में प्रसाद के रूप में बांट लें.
मुहूर्त- भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए शुभ महूर्त 12 अगस्त रात 12:05 से लेकर रात 12:48 तक रहेगा.
-मृणाल पाठक