Sankashti Chaturthi 2024, Lord Ganesha, Lifestyle News
संकष्टी चतुर्थी 2024 (सोशल मीडिया)

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सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित ‘संकष्टी चतुर्थी'(Sankashti Chaturthi 2024) सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस साल चैत्र मास की ‘संकष्टी चतुर्थी'(Sankashti Chaturthi 2024) 28 मार्च गुरुवार को है। इस दिन लोग सुख, शांति और समृद्धि के लिए गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते है। भगवान गणेश (Lord Ganesha) भक्तों के लिए विघ्नहर्ता माने जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि विघ्नहर्ता श्री गणेश (Lord Ganesha) की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानें चैत्र माह की संकष्टी चतुर्थी तिथि, पूजा विधि के बारे में-

तिथि

चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 मार्च को शाम 6 बजकर 56 मिनट पर होगी। संकष्टी चतुर्थी 29 मार्च को रात 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन चंद्रोदय के समय में पूजा करने का विधान है। संकष्टी चतुर्थी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जिसके कारण ये व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

इस साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा, इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। 28 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजा का शुभ समय सूर्योदय से सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक है, इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर होगा।

पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।

पूजा घर को साफ करें।

भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और देसी गाय के घी का दीया जलाएं।

सिंदूर का तिलक लगाएं।

पीले रंग के फूल, दूर्वा घास और बूंदी के लड्डू, मोदक का भोग लगाएं।

संकष्टी कथा का पाठ करें और आरती से पूजा का समापन करें।

शाम के समय भी भगवान गणेश की पूजा अवश्य करें।
व्रती शाम के समय पूजा अनुष्ठान को पूरा करने के बाद प्रसाद से अपना व्रत खोलें।

सात्विक भोजन करें और तामसिक चीजों से दूर रहें।

भगवान श्री गणेश मंत्र

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।