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ऑटो ब्रिवरी सिंड्रोम (Social Media)

एक ऐसी दुर्लभ बीमारी ऑटो ब्रिवरी सिंड्रोम (Auto Brewery Syndrome) का खुलासा हुआ है जिसमें आप अल्कोहल लिया बिना भी शराब के नशे में रहते है।

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नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: सेहत के लिए जहां पर शराब का सेवन (Alcohol Drinking) करना नुकसानदेह होता है वहीं पर अगर आपके पूरे शरीर में फैल जाए तो बहुत बुरा असर होता है। एक ऐसी दुर्लभ बीमारी ऑटो ब्रिवरी सिंड्रोम (Auto Brewery Syndrome) का खुलासा हुआ है जिसमें आप अल्कोहल लिया बिना भी शराब के नशे में रहते है। इस बीमारी से जुड़ा एक मामला सामने आया था जिसके बाद खुलासा हुआ है।

जानिए क्या है मामला

इस बीमारी से जुड़ा एक मामले सामने आया था जहां बेल्जियम में एक शख्स को शराब पीकर गाड़ी चलाने के शक में गिरफ्तार किया गया था लेकिन जब शख्स की मेडिकल जांच की गई तो उसमें पाया गया कि उस शख्स को ऑटो ब्रिवरी सिंड्रोम नाम की दुर्लभ बीमारी है. इस बीमारी से पीड़ित इंसान के शरीर में अपने आप अल्कोहल बनने लगता है।मेडिकल एग्जामिनेशन में पता लगा कि उसे एबीएस नाम की बीमारी है।

जानिए इस दुर्लभ बीमारी के बारे में

यहां पर दुर्लभ बीमारी ऑटो ब्रिवरी सिंड्रोम (एबीएस) की बात करें तो, इसे गट फर्मेंटेशन सिंड्रोम भी कहते है जिसमें इस बीमारी से पीड़ित मरीज की जठराग्नियों में मौजूद एक खास फुंगी, कार्बोहाइड्रेट्स को माइक्रोबैक्टीरिया फर्मेंटेशन के जरिये अल्कोहल में बदल देती हैं। इसे लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के स्कूल ऑफ मेडिसिन ने माना कि, जब छोटी आंत में कुछ फर्मेंटेशन वाले सूक्ष्मजीवों, विशेष रूप से सैक्रोमाइसेस सेरेविसिया जैसे यीस्ट का असंतुलन हो जाता है. इसके अलावा किसी कारण से ये बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो एबीएस सिंड्रोम की वजह बनते हैं. यह असंतुलन, कार्बोहाइड्रेट को फर्मेंट कर इथेनॉल में बदल देता है, जिससे नशा जैसे प्रभाव पैदा होता है।

किसे करते है प्रभावित

इस प्रकार की बीमारी का खतरा वैसे तो कमजोर इम्यूनिटी वालों को होता है वहीं पर यह सिंड्रोम किसी भी लिंग या उम्र के व्यक्तियों को चपेट में ले सकता है। इसके साथ ही डायबिटीज, मोटापा, पहले से आंत की बीमारी से जूझ रहे इंसान और जिन्हें अनुवांशिक तौर पर एडीएच (अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज) और एएलडीएच (एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज) है, उन्हें इथेनॉल पचाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. ये दो ऐसे फैक्टर हैं, जो ऑटो ब्रिवरी सिंड्रोम को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

क्या होते है सिंड्रोम के लक्षण?

यहां पर इस सिंड्रोम का लक्षण बिल्कुल शराब के नशे जैसा ही है, खून में अल्कोहल का स्तर बढ़ जाता है, इसके अलावा बोलने में कठिनाई, भ्रम की स्थिति और जुबान लड़खड़ाने लगती है. वहीं त्वचा लाल हो जाती है। वहीं कुछ मरीजों में सूजन, पेट फूलना और दस्त जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी दिखते हैं। बताया जा रहा है कि, लक्षण के आधार पर डॉक्टर से आप कुछ बेसलाइन टेस्ट करवा सकते हैं. जैसे- मेटाबॉलिक प्रोफाइल, ब्लड अल्कोहल लेवल आदि. इसके अलावा यीस्ट ग्रोथ का पता लगाने के लिए मल परीक्षण भी करवा सकते हैं।