Mimosa Leaves Benefits for Health
छुईमुई के फायदे (कॉन्सेप्ट फोटो)

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सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: हमारे आस-पास कई पेड़ पौधे ऐसे हैं जो औषधीय गुणों (Medical Benefits) से भरपूर होता है। किसी की पत्तियां, तो किसी की छाल, किसी का बीज शरीर के कोई ना कोई रोगों का निवारण करता है। हम ये तो जानते हैं, कई तरह के पेड़ पौधों से हमें लाभ होता है, लेकिन इससे होने वाले फायदों के बारे में इतना पता नहीं होता।

लेकिन आज हम आपको एक ऐसे आयुर्वेदिक पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे हर बच्चा तक जानता है। जी हां हम बात कर रहे हैं छुईमुई अर्थात लाजवंती पौधे की। ये पौधा बेहद नटखट किस्म का होता है क्योंकि इसे हाथ लगाते ही इसकी पत्तियां सिकुड कर बंद हो जातीं हैं। लेकिन, कुछ देर बाद अपने आप ही खुल जाती हैं। ऐसे में आज आइए जानें इस पौधे के फायदे –

आयुर्वेद एक्सपर्ट्स के अनुसार, अस्थमा की समस्या में छुईमुई को असरदार आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है। अस्थमा में इसका इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। लाजवंती या छुईमुई में कफ को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं, इसलिए इसके इस्तेमाल से अस्थमा की समस्या में कफ बनने से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके पौधे के अर्क का सेवन करने से अस्थमा की समस्या में फायदा मिलता है। लेकिन इसका उपयोग करने से पहले आप किसी वैद्य या आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

लाजवंती का पौधा डायरिया की परेशानी को दूर करने में काफी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। मुख्य रूप से दस्त, उल्टी जैसी परेशानी को कम कर सकता है। इसका प्रयोग आप काढ़ा के रूप में कर सकते हैं।

जानकारों का मानना है कि, डायबिटीज की समस्या में भी छुईमुई का पौधा लाभकारी माना जाता है। इसके लिए पत्तियों को पानी में उबालकर उसके सेवन की सलाह दी जाती है। छुईमुई की पत्तियों से तैयार काढ़ा पीने पर ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।

चेहरे पर दाने और मुंहासे हो गए हैं तो आप लाजवंती के पत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये पत्तियां खून को साफ करने के साथ ही पिंपल को कम करती है। इससे स्किन ग्लोइंग बनती है।

बवासीर की समस्या में भी लाजवंती के पत्तों का इस्तेमाल करने से दर्द, सूजन और जलन में राहत मिलती है।  हालांकि इस पौधे का उपयोग करने से पहले उसको अच्छे से धो लें। लेकिन आपको बता दें के इसका उपयोग करने से पहले किसी एक्सपर्ट से अवश्य सलाह लें क्योंकि इस पौधे की कितनी मात्रा में उपयोग करना होता है। यह उम्र के हिसाब से आयुर्वेद में निर्धारित है। इसलिए इसका इस्तेमाल करने से पहले जरूर जाँच कर लें।