समुद्र तल से 2,000 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर रहने वाले बच्चों में बौनेपन (Dwarfism) की आशंका 1,000 मीटर या उससे कम ऊंचाई पर रहने वाले बच्चों की तुलना में 40 फीसदी अधिक होती है।
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: उम्र के बढ़ने और कद के लिए व्यक्ति के आसपास का वातावरण निर्भर करता है ऐसे में पहाड़ी इलाकों और ऊंचाई पर रहने वाले लोगों में इसे लेकर विभिन्नताएं देखने के लिए मिलती है। हालिया रिसर्च (Research on Dwarfism) में खुलासा हुआ है कि, समुद्र तल से 2,000 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर रहने वाले बच्चों में बौनेपन (Dwarfism) की आशंका 1,000 मीटर या उससे कम ऊंचाई पर रहने वाले बच्चों की तुलना में 40 फीसदी अधिक होती है। इन ऊंचाई पर रहने वाले बच्चों में लंबाई का स्तर घट रहा है जो बौनेपन की ओर इशारा देता है।
जानिए क्या कहती है रिसर्च
यहां पर इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज मुंबई, यूनिवर्सिटी ऑफ लद्दाख, मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज की ओर से शोधकर्ताओं ने किए रिसर्च से बड़ा खुलासा सामने आया है। इसे लेकर शोधकर्ताओं ने बताया कि, कुपोषण की वजह से होने वाला बौनापन बच्चे में सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा है जो अमूमन छोटे उम्र के एक तिहाई बच्चों में देखने के लिए मिलता है। अध्ययन में सामने यह भी आया कि, बौनापन के मामले अक्सर ऊंचाई पर रहने वाले बच्चों में अधिक आते है इसके लिए कुपोषण को रोकने के लिए कदम और पोषण कार्यक्रमों पर जोर देने की बात कही गई।
जानिए क्या है बौनापन का कारण
यहां पर शोध पर शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि, इस बौनापन की स्थिति की वजह अधिक ऊंचाई पर लंबे समय तक रहना हो सकता है जिससे भूख कम लगती है। इसके अलावा ऊंचाई पर रहने वालों को ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा भी नहीं मिल पाती है इस वजह से पोषक तत्वों का अवशोषण सीमित हो जाता है। इस वजह से भी बच्चों की लंबाई बहुत कम बढ़ती है। यहां ऊंचाई पर रहने वालों की फसलें निचले स्तर पर रहने वाले लोगों से अलग होती है।