क्या है ‘विश्व मलेरिया दिवस’ का महत्व? जानिए जानलेवा मलेरिया के लक्षण

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    -सीमा कुमारी

    हर साल 25 अप्रैल को समूची दुनिया में ‘विश्व मलेरिया दिवस’ (World Malaria Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य मलेरिया से लोगों को जागरूक करना और उनकी जान की रक्षा करना है। यह दिन मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने, उसके निवारण और नियंत्रण को ध्यान में रखकर मनाया जाता है।

    दुनिया में कई सारे देश ऐसे हैं जो कि एक मच्छर के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारी मलेरिया से लड़ रहे हैं। हर साल मलेरिया से लाखों मौतें होती हैं। गंदगी वाली जगहों और नम इलाकों में मलेरिया बहुत जल्दी अपने पैर पसारता है। कई सारे लोग इसे नजरअंदाज कर देते है, जिस कारण उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। मलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। आइए जानें इसका इतिहास, महत्वपूर्ण बातें।

    इतिहास

    ‘मलेरिया’ इटालियन भाषा के शब्द ‘माला’+’एरिया’ से बना है, जिसका कि अर्थ ‘बुरी हवा’ होता है। कहा जाता है कि इस बीमारी को सबसे पहले चीन में पाया गया था, जहां इसे उसे समय ‘दलदली बुखार’ कहा जाता था, क्योंकि यह बीमारी गंदगी से पनपती है। साल 1880 में मलेरिया पर सबसे पहला अध्ययन वैज्ञानिक चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन ने किया।

    मलेरिया के लक्षण

    मलेरिया के लक्षण मादा मच्छरों के काटने के 6 से 8 दिन बाद शुरू हो सकते हैं।

    • ठंड लगकर बुखार का आना और बुखार के ठीक होने पर पसीने का आना।
    • थकान, सिरदर्द
    • मांसपेशियों के दर्द, पेट की परेशानी
    • उल्टियां होना
    • बेहोशी आना
    • एनीमिया, स्किन का पीलापन होना, आदि।

    मलेरिया मादा मच्छर के काटने से होता है। जिसके कारण रक्त में प्लास्मोडियम नामक परजीवी फैल जाता है और इससे जान भी जा सकती है।

    ऊपर बताए गए लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सभी लक्षण गंभीर रूप ले सकते हैं। वहीं, यह जानना जरूरी है कि मलेरिया के परजीवी भी शरीर में 1 साल तक निष्क्रिय रह सकते हैं। ऐसे में समय-समय पर चेकअप कराना भी जरूरी है।

    जानकारों के अनुसार, मलेरिया से बाचव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएं छिड़कवाना, गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी है। यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुंचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती है।