Chhath Puja , Chhath Puja 2023
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    -सीमा कुमारी

    28 अक्टूबर, यानी शुक्रवार से छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी हैं। और यह पर्व 31 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व में श्रद्धालुगण 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान कई कठोर नियमों का पालन भी करना होता हैं। इस त्योहार को मनाने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही हैं। इसको लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, त्रेतायुग में मां सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी ये व्रत किया था। आइए जानें इस बारे में –

    पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में प्रियंवद नाम के राजा की कोई संतान नहीं थी। पुत्रेष्टि यज्ञ से उनकी पत्नी गर्भवती हुई। लेकिन जन्म के पश्चात मृत बालक पैदा हुआ। जब राजा अपने मृत पुत्र को श्मशान ले गए तो वहां, षष्ठी देवी प्रकट हुई और उन्होंने उस मृत बालक को गोद में लेकर जीवित कर दिया।

    उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी। इसके बाद उन्होंने राजा से कहा कि तुम मेरी पूजा करो और लोगों को भी इस बात को लेकर प्रेरित करो। राजा ने ऐसा ही किया।  तब से कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को षष्ठी देवी यानी कि छठी मैया की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

    कथा के अनुसार, द्वापर युग में वनवास के दौरान द्रौपदी व पांडव प्रतिदिन सूर्य पूजा करते थे । इस दौरान उन्होंने हर साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पूजा का व्रत भी किया। मान्यता है कि इसी व्रत की वजह से पांडवों ने कौरवों को युद्ध में हरा दिया।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लंका में विजय के बाद जब भगवान श्रीराम अयोध्या आए तो मां सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास किया और छठी मैया के साथ-साथ सूर्यदेव की भी आराधना की। तब से छठ पूजा की परंपरा चली आ रही है।