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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को ‘वट सावित्री व्रत'(Vat Savitri Vrat 2023) रखा जाता है। इस साल वट सावित्री का व्रत 19 मई को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए भूखी-प्यासी रहकर व्रत रखती हैं। इस दिन अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है और बरगद के पेड़ की पूजा का विधान है।

शास्त्रों के अनुसार, ये व्रत ‘करवाचौथ’ के व्रत की तरह ही बहुत कठिन होता है। बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है और कथा सुनी और पढ़ी जाती है। इस दिन पूजा के दौरान पूजा की थाली पूर्ण रूप से तैयार होनी चाहिए। कहते हैं, बरगद के पेड़ की पूजा के समय पूजा की सामग्री का काफी अहम रोल है। आइए जानें वट सावित्री के व्रत में पूजन सामग्री और बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व।

धर्म ग्रंथों के अनुसार वट यानी बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं का वास होता है। कहते हैं, बरगद के पेड़ की पूजा करने से तीनों देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए बरगद के पेड़ का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजन करती हैं और व्रत रखती है।  बता दें कि बरगद का पेड़ अकेला ऐसा पेड़ होता है, तो 300 साल तक जीवित रहता है यानी इसकी आयु सबसे लंबी होती है।  

ऐसी मान्यता है कि जब यमराज ने सत्यवान के प्राण छीन लिए थे। तब सत्यवान की पत्नी ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने पति को लिटाया था और वहीं बैठकर पूजा की थी। सत्यवान की पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर उसके पति के प्राण ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वापस आ गए थे। तभी से वट सावित्री व्रत व पूजा का विधान है।

ज्योतिषियों की मानें तो बरगद के पेड़ की पूजा से पहले अपनी पूजा की थाली तैयार कर लें।  बता दें कि इस दौरान पूजा की थाली में चावल (अक्षत), श्रृंगार का सामान, आम, लीची, मौसमी फल, मिठाई या घर में पका कोई भी मिष्ठान, बतासा, मौली, रोली, कच्चा धागा, लाल कपड़ा, नारियल, इत्र, पान, सिंदूर, दूर्बा घास, सुपारी, पंखा (हाथ का पंखा), जल आदि की आवश्यकता होती है।