सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: भगवान ‘काल भैरव’ को समर्पित ‘कालाष्टमी’ (Kalashtami) का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। सनातन धर्म में इस व्रत का बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है, जो शिव जी का एक उग्र स्वरूप हैं।
इस बार साल 2024 की पहली ‘कालाष्टमी'(Kalashtami 2024) आज यानी 4 जनवरी को है। धार्मिक मान्यताओँ के मुताबिक, इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-व्रत करने से व्यक्ति को दुख और संकट से निजात मिलती है और घर में खुशियों का आगमन होता है। आइए जानें कालाष्टमी के दिन कौन से कार्यों को करने बचना चाहिए और इसकी महिमा
कालाष्टमी के दिन न करें ये कार्य
कालाष्टमी के दिन शराब को भूलकर भी नहीं पीना चाहिए और मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। बुजुर्गों और महिलाओं को गलत शब्द न बोलें।
भगवान काल भैरव की पूजा के लिए किसी का नाश न करें।
कालाष्टमी के दिन किसी पशु-पक्षी को परेशान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान काल भैरव नाराज हो जाते हैं। इस दिन किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए।
धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में कालाष्टमी पर्व का बड़ा महत्व है। सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी, जिसे कालभैरव जयंती के नाम से भी जाना जाता है, यह मार्गशीर्ष महीने में आती है। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन भोलेबाबा भैरव रूप में प्रकट हुए थे। यह खास दिन पूरे देश में भगवान भैरव के भक्तों द्वारा बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
प्रचलित कथाओं के अनुसार, ऐसी भी मान्यता है कि त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच एक बार बहस हो गई थी, जिसमें ब्रह्मा जी की एक टिप्पणी पर भगवान शिव अत्यधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी का पांचवा शीश काट दिया। तभी से भगवान शिव के इस रूप को ‘काल भैरव’ के रूप में पूजा जाता है। इस कथा को हर साधक प्रति कालाष्टमी के दिन पढ़ता और सुनता है।
कालाष्टमी के दिन भगवान भैरवनाथ की पूजा करने से सभी प्रकार की मुश्किलों और नकारात्मकता का अंत होता है। ऐसे में हर किसी को इस विशेष दिन पर भक्ति भाव के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए।