शनिवार के दिन शनि देव की पूजा फलदायी मानी गई है लेकिन शनि जयंती पर शनि देव की पूजा का मनचाहा फल प्राप्त होता है।
सीमा कुमारी
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: न्याय एवं कर्म के दाता ‘भगवान शनि’ (Lord Shani) को समर्पित ‘शनि जयंती’ (Shani Jayanti 2024) इस बार 8 मई, 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। शनि देव कर्मों के आधार पर फल देते हैं। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा फलदायी मानी गई है लेकिन शनि जयंती पर शनि देव की पूजा का मनचाहा फल प्राप्त होता है।
अमावस्या शनि देव की जन्म तिथि है। आपको बता दें, शनि जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव की पूजा करने से शनि की महादशा से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जान लीजिए शनि जयंती की तिथि शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या तिथि की शुरुआत 7 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर होगी और इसका समापन 8 मई को सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर होगा। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, शनि जयंती 8 मई को मनाई जाएगी।
शनिदेव की पूजा विधि
1-शनि जयंती पर आप भगवान शनिदेव को तिल का तेल चढ़ा सकते है। इसके साथ ही काला कपड़ा चढ़ाएं ।
2-शमी पेड़ के पत्ते और अपराजिता के नीले फूल खासतौर से इनकी पूजा में ज़रूर शामिल करना चाहिए ।
3-कहा जाता है कि तिल, उड़द, काला कंबल, बादाम, लोहा, कोयला इन वस्तुओं पर शनि का प्रभाव बहुत अधिक होता है।
4-जरूरतमंद लोगों को आप अनाज, जूते, कपड़े, छाते का दान करें।
5-किसी प्याऊ में मटके का दान भी कर सकते ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनि जयंती की महिमा
वैशाख माह की शनि जयंती दक्षिण भारत में मुख्य रूप से मनाई जाती है। वहीं, ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर पड़ने वाली शनि जयंती का उत्तर भारत में बहुत महत्व होता है। वैशाख माह की शनि जयंती पर शनि देव की पूजा से साढ़े साती और ढैय्या में राहत मिलती है।