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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: सनातन हिन्दू धर्म में ‘‘प्रदोष व्रत’ का विशेष महत्व है। यह व्रत देवों के देव ‘महादेव जी’ को समर्पित है। ऐसे में यह व्रत हिन्दू भक्तों के लिए ख़ास महत्व रखता है | इस साल मार्गशीर्ष यानी,अगहन महीने की ‘प्रदोष व्रत’ 2 दिसंबर को है। इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा उपासना करने का विधान है। 

    धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत की कथा श्रवण मात्र से व्यक्ति के जीवन से सभी दुखों का नाश होता है। साथ ही शिव पार्वती की कृपा साधक बरसती है। अतः प्रदोष व्रत के दिन श्रद्धापूर्वक भगवान शिवजी और माता पार्वती की पूजा-उपासना करें। इस व्रत के लिए कुछ कठोर नियम भी हैं। इन नियमों का पालन करने पर व्रत सफल माना जाता है। आइए जानें  ‘प्रदोष व्रत’ में क्या करें और किन चीजों से परहेज करें-

    क्या न करें

     1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,इस दिन एकादशी की तरह चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही लाल मिर्च और सामान्य नमक का सेवन भी न करें।

    2. इस दिन तामसिक भोजन न करें। प्रदोष व्रत के दिन लहसुन-प्याज युक्त भोजन और सोमरस का सेवन बिल्कुल न करें।

    3. इस दिन किसी से वाद-विवाद भी न करें।

    4. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। अगर व्रत करते हैं, तो दिन में एक बार जल ग्रहण और एक फल का सेवन कर सकते हैं।

    प्रदोष व्रत की कथा

    ‘प्रदोष व्रत’ भगवान शिव के साथ चंद्रदेव से जुड़ा है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत सबसे पहले चंद्रदेव ने ही किया था. माना जाता है श्राप के कारण चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था। तब उन्होंने हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखना आरंभ किया था जिसके शुभ प्रभाव से चंद्रदेव को क्षय रोग से मुक्ति मिली थी।

    प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए उसका कल्याण करती हैं। प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा दिन और वार के अनुसार बदल जाता है।भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। एकादशी व्रतों की तरह ही इस व्रत का भी विशेष महत्व माना गया है। ये व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।