क्या आप जानते है इस दिन देश के छत्तीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh) में गुड्डे-गुड़ियों के शादी रचाई जाती है इसे पुतरा-पुतरी विवाह भी कहते है।
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: जैसा कि, 10 मई को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2024) का त्योहार हिंदू (Hindu Religion) धर्म में खास महत्व रखता है तो वहीं पर इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। कहते है अगर आप इस दिन कुछ नया काम करने की सोच रहे है तो आपको इसका शुभ फल मिलेगा। क्या आप जानते है इस दिन देश के छत्तीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh) में गुड्डे-गुड़ियों के शादी रचाई जाती है इसे पुतरा-पुतरी विवाह भी कहते है, तो आइए जानते है इसके पीछे की खास वजह।
जाने अक्षय तृतीया का अर्थ
अक्षय तृतीया की बात अगर संस्कृत भाषा से समझे तो, ‘अक्षय’ शब्द का अर्थ है ‘कभी कम न होने वाला’. ऐसा माना जाता है कि यज्ञ, हवन, दान और जप का लाभ व्यक्ति के साथ हमेशा बना रहता है. ऐसा कहा जाता है कि जो जोड़े अक्षय तृतीया के दिन शादी करते हैं उन्हें अनंत समृद्धि और एक साथ रहने का आशीर्वाद मिलता है।
जानिए गुड्डे-गुड़ियो का ब्याह क्यों
छत्तीसगढ़ के मान्यता के अनुसार, इस दिन गुड्डे-गुड़ियों का विवाह रचाने की परंपरा होती है जिसे हर्षोल्लास के साथ मनाते है। इस प्रदेश में धूम रहने के साथ ही यहां अक्षय तृतीया को अक्ती कहते है। इस दिन परंपरा के अनुसार बच्चे मिट्टी से बने गुड्डे- गुड़ियों अर्थात पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाते हैं. कल जिन बच्चों को ब्याह कर जीवन में प्रवेश करना है, वे परंपरा को इसी तरह आत्मसात करते हैं। बच्चे, बुजुर्ग बनकर पूरी तन्मयता के साथ अपनी मिट्टी से बने बच्चों का ब्याह रचाते हैं.इसी तरह वे बड़े हो जाते है और अपनी शादी के दिन बचपन की यादों को संजोए हुए अक्ती के दिन मंडप में बैठते है. अक्ती के दिन महामुहूर्त होता है. बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन शादियां होती हैं।
जानिए पौराणिक महत्व
इस दिन को लेकर पौराणिक मान्यता है कि, अक्षय तृतीया के दिन देवी मधुरा ने भगवान शिव के अवतार सुंदरेश से विवाह किया था,इस प्रकार, इस दिन शादी करने वाले सभी जोड़ों को देवताओं द्वारा शाश्वत प्रेम का आशीर्वाद दिया जाता है। इतना ही नहीं अब इस परंपरा का रंग फीका पड़ने लगा है। इसके अलावा अक्ती पर्व को लेकर मान्यता है कि,एक ओर जोड़े विवाह क बंधन में बंधेगे और शादी के बंधन से अंजान बच्चे पूरे रीति रिवाज के साथ मिट्टी के बने गुड्डे-गुड़ियों का पारंपरिक विवाह रचाएंगे।