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    -सीमा कुमारी

    ‘नवरात्रि’ का महापर्व 7 अक्टूबर यानी गुरुवार से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के पावन दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा -अर्चना की जाती है।  मान्यताओं के मुताबिक, इससे देवी मां की असीम कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि, खुशहाली व शांति का आगमन होता है। इस दौरान लोग देवी मां को अलग-अलग भोग व फूल भी चढ़ाते हैं। मगर इन शुभ दिनों पर माता रानी को उनके प्रिय फूल चढ़ाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।  आइए जानें दुर्गा मां के अलग-अलग स्वरूपों को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए-

    • ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘नवरात्रि’ के पहले दिन मां दुर्गा के ‘शैलपुत्री’ स्वरूप की पूजा होती है। देवी मां को सफेद कनेर और गुड़हल के लाल फूल अतिप्रिय हैं। इसलिए ‘नवरात्रि’ के पहले दिन देवी मां को ये फूल चढ़ाएं।
    • ‘नवरात्रि’ के दूसरे दिन देवी मां के ‘ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा होती है। मां ‘ब्रह्मचारिणी’ को गुलदाउदी और वटवृक्ष के फूल बहुत पसंद हैं। इसलिए आप भी देवी मां की कृपा पाने के लिए उनके चरणों में इन फूलों को चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली का वास होगा।
    • ‘नवरात्रि’ के तीसरे दिन मां ‘चंद्रघंटा’ को शंखपुष्पी के फूल अर्पित करने चाहिए।
    • ‘नवरात्रि’ के चौथे दिन मां ‘कूष्मांडा’ को पीले रंग के फूल चढ़ाने चाहिए।
    • ‘नवरात्रि’ का पांचवां दिन मां दुर्गा के ‘स्कंदमाता’ स्वरूप को समर्पित होता है।‌‌ देवी मां के इस रूप को पीले रंग के फूल काफी पसंद हैं। उन्हें पीले फूल अर्पित करने से सुख-संपन्नता का आशीर्वाद मिलता है।
    • ‘नवरात्रि’ के छठे दिन मां ‘कात्यायनी’ को बेर के वृक्षों के फूल अर्पित करने चाहिए।
    • ‘नवरात्रि’ का सातवां दिन मां दुर्गा के ‘कालरात्रि’ स्वरूप को समर्पित होता है। देवी को नीले रंग का कृष्ण कमल अतिप्रिय है। ऐसे में आप देवी मां आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें यह फूल जरूर चढ़ाएं। अगर ये फूल न मिले तो देवी मां कृपा पाने के लिए उन्हें कोई नीला फूल अर्पित करें।
    • ‘नवरात्रि’ के पावन दिनों में आठवां नवरात्रा मां के ‘महागौरी’ स्वरूप की पूजा होती है। देवी दुर्गा के इस रूप को मोगरे के फूल अतिप्रिय है। इसलिए आप घर-परिवार पर माता रानी की कृपा पाने के लिए उन्हें मोगरे के फूल चढ़ाएं।
    • ‘नवरात्रि’ के समापन वाले दिन मां सिद्धिदात्री को गुड़हल के फूल अर्पित करने चाहिए।
    • ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, देवी मां को कभी भी अपवित्र स्थल पर उत्पन्न हुए, जो फूल सही से नहीं खिले हैं अर्थात कलियां, बिखरी हुई पंखुड़ियों वाले, गंधरहित अथवा तीव्र गंधवाले, सूंघे हुए पुष्प धरती पर गिरे हुए, बाएं हाथ से लाए गए पुष्प अर्पित नहीं करने चाहिए। इसके अलावा किसी के यहां से बिना आज्ञा के तोड़े गए फूल, पानी में डुबोकर धोए हुए पुष्प कभी नहीं चढ़ाने चाहिए।