माघ पूर्णिमा और ‘ललिता जयंती’ के खास अवसर पर जानिए इन दोनों त्योहारों का महत्व और शुभ मुहूर्त

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: ‘ललिता जयंती’ (Lalita Jayanti) आज यानी 5 फरवरी, रविवार को है। इस तिथि को ‘माघ पूर्णिमा’ ( Magh Purnima) भी है। मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती है। ‘ललिता जयंती’ का व्रत श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही शुभ एवं मनोवांछित फल प्रदान करने वाला बताया गया है।ऐसी मान्यता है कि मां ललिता की विधिपूर्वक पूजा-उपासना करने से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है। वहीं, साधक पर मां ललिता की कृपा सदैव बरसती रहती है। मां की कृपा से व्रती को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानें ललिता जयंती की पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महिमा के बारे में –

    शुभ मुहूर्त और तिथि

    वर्ष 2023 में माघ पूर्णिमा के दिन चार अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 56 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। आयुष्मान योग दोपहर 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगा, जिसके बाद सौभाग्य योग्य प्रारंभ हो जाएगा। इन शुभ योग में मां ललिता की उपासना करने आर्थिक रूप से उन्नति प्राप्त होती है और सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

    ललिता देवी के पूजा मंत्र

    सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आप ललिता देवी जयंती पर ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम: के मंत्र का जाप कर सकते हैं।

    महत्व

    पूर्णिमा को सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही मन में गंगा मैया का ध्यान कर स्नान करके भगवान श्री हरि की पूजा करनी चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। अतः इस दिन गंगाजल का स्पर्श मात्र भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति देता है। इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप एवं संताप का नाश होता है। मन एवं आत्मा शुद्ध होती है।