Maha Shivratri 2022
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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिंदू धर्म में सावन का पावन महीना बहुत ही शुभ माना जाता है। महायोगी, महादेव मृत्युंजय शिव शम्भू भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए यह महीना अति विशेष माना गया है। इस वर्ष 14 जुलाई, गुरुवार से सावन का आरंभ हो रहा है और 11 अगस्त, गुरुवार तक सावन रहेगा। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं सावन के महीने में क्यों की जाती है भगवान शंकर की पूजा और क्या है इसकी महिमा ?

    धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में सृष्टि के संचालन कर्त्ता भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते है। ऐसे में सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान भोले ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन महीने के देवता भगवान शिव बन जाते हैं और इस पूरे महीने भक्त शिव जी की पूजा करते हैं।

    पौराणिक मान्यता के मुताबिक, सावन के महीने में समुद्र मंथन किया गया था और समुद्र मंथन के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे सृष्टि के रक्षा के लिए भगवान शंकर ने अपने कंठ में समाहित कर लिया। विष पीने से महादेव का कंठ नीला हो गया, जिसके चलते उनका नाम नीलकंठ पड़ा। विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें पूरे सावन महीने जल अर्पित किया था। इसी वजह से सावन के महीने में भगवान शिव को जल चढ़ाने का विशेष महत्व है।

    भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे, जहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक करके किया गया था। ऐसा सा माना जाता है कि हर साल भगवान शिव सावन के महीने पृथ्वी पर आते हैं और अपनी ससुराल जाते हैं।  इसलिए शिव भक्त उनके स्वागत के लिए जलाभिषेक करते हैं।