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    -सीमा कुमारी

    हिन्दू धर्म में ‘पौष महीने’ का बड़ा ही महत्व  है। इस साल 20 दिसंबर,सोमवार से पौष के महीने की शुरुआत हो रही है।  मान्यताओं के मुताबिक, इस पूरे महीने किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते। लेकिन धार्मिक दृष्टि से इस महीने का काफी महत्व माना गया है। इस महीने में ‘भगवान सूर्यनारायण’ की विशेष पूजा- अर्चना कर उनसे उत्तम स्वास्थ्य और मान-सम्मान की प्राप्ति की जाती है। आइए जानें ‘पौष महीने के प्रमुख त्योहारों की पूरी लिस्ट:

    21 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन है।

    22 दिसंबर को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है।

    25 दिसंबर को बड़ा दिन और क्रिसमस है।

    26 दिसंबर को भानु सप्तमी और कालाष्टमी है।

    27 दिसंबर को मंडल पूजा है।

    30 दिसंबर को सफला एकादशी है।

    31 दिसंबर को प्रदोष व्रत है।  

    1 जनवरी को नववर्ष है।

    1 जनवरी को ही मासिक शिवरात्रि है। ज्योतिषों की मानें तो अविवाहित लड़कियों और लड़कों को मासिक शिवरात्रि का व्रत जरूर करना चाहिए। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही विवाहित महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

    2 जनवरी को हनुमान जयंती है। तमिल समुदाय के लोग हनुमान जयंती मनाते हैं।

    2 जनवरी को दर्श अमावस्या है।

    4 जनवरी को चंद्र दर्शन पर्व है।

    6 जनवरी को विनायक चतुर्थी है।

    7 जनवरी को स्कंन्द षष्ठी है।

    9 जनवरी को शुक्ल पक्ष की भानु सप्तमी है।

    9 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जयंती है। महान संत गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को साल 1666 में बिहार के पटना शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था।

    10 जनवरी को शाकंभरी उत्स्व है।

    10 जनवरी को मासिक दुर्गाष्टमी है।

    12 जनवरी को मासिक कार्तिगाई है।

    12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती है।

    13 जनवरी को वैकुंठ एकादशी या पौष पुत्रदा एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी के दिन व्रत उपवास करने से अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक पंडितों की मानें तो एकादशी की रात्रि जागरण करने से साधक पर भगवान की विशेष कृपा बरसती है। इस दिन चावल ग्रहण करना चाहिए। व्रती अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार, निर्जला या फलाहार व्रत कर सकते हैं।

    13 जनवरी को लोहड़ी है।

    14 जनवरी को मकर संक्रांति है।

    14 जनवरी को रोहिणी व्रत और कूर्म द्वादशी है।

    15 जनवरी को शनि त्रयोदशी, बिहू और प्रदोष व्रत है।

    17 जनवरी को पौष पूर्णिमा है।