इस दिन पड़ रही है शरद पूर्णिमा, इस मुहूर्त में करें पूजा, जानिए इस दिन का पौराणिक महत्व

Loading

सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: ‘शरद पूर्णिमा’ (Sharad Purnima 2023) को अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। सनातन धर्म में ‘शरद पूर्णिमा’ का विशेष महत्व है। खासतौर पर, शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अहम है, इसे ‘कोजागरी’ भी कहते है। इस साल यह पावन तिथि यानी शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को पड़ रही है। शरद पूर्णिमा का चांद मन को शीतलता देता है।

वहीं, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है, जो भारत में भी देखा जा सकता है। इस ग्रहण का सूतक काल शाम 4 बजे के बाद से शुरू हो जाएगा। लेकिन, लक्ष्मी पूजा के लिए 28 अक्टूबर की सुबह से दोपहर में सूतक शुरू होने से पहले चार शुभ मुहूर्त भी मिल रहे हैं, जिनमें आप पूजन कर सकते हैं। इस बार शरद पूर्णिमा पर कई ऐसे शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। साथ ही इस दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से लक्ष्मी जी की पूजा करना खूब सुख-समृद्धि देगा।  

पौराणिक मान्यता है कि, शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह जल्दी प्रसन्न होती हैं। साथ ही अपने भक्तों को अपार सुख-समृद्धि भी प्रदान करती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साल भर धन की कमी नहीं होती है। आइए जानें शरद पूर्णिमा का तिथि, शुभ मुहूर्त और इसकी महिमा-

तिथि

इस वर्ष आश्विन माह की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से शुरू और 29 अक्टूबर रविवार को रात्रि 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। इसलिए शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर, शनिवार को मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय 5 बजकर 20 मिनट पर होगा। 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा व्रत, कोजागिरी और लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) की जाएगी।

शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्मी पूजा के तीन मुहूर्त हैं। रात 8 बजकर 52 मिनट से 10 बजकर 29 मिनट तक शुभ उत्तम मुहूर्त, 10 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त और 12 बजकर 5 मिनट से 1 बजकर 41 मिनट तक सामान्य मुहूर्त है।

 महिमा

मान्यता है कि, ‘शरद पूर्णिमा’ (Sharad Purnima 2023) की पावन तिथि पर रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है जिसके कारण आसमान से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखते हैं ताकि चंद्रमा की किरणों के साथ अमृत के गुण खीर में आ जाएं। इस खीर को सेहत के लिए बहुत गुणकारी माना जाता हैं। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा और देवी लक्ष्मी की पूजा से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है और धन की देवी लक्ष्मी का वास होता हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा के दिन महारास रचाया था इसलिए इसे रास पूर्णिमा (Raas Purnima) भी कहते हैं।