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    -सीमा कुमारी

    सूर्योपासना का महापर्व ‘छठ’ पूजा की शुरुआत शुक्रवार यानी कि 28 अक्टूबर से हो चुकी है। इस दौरान उपवास के साथ कई तरह के कठिन नियमों का पालन करना होता है। छठ पर व्रती महिलाएं सूती साड़ी पहनती हैं। हालांकि, कई लोग इस बारे में नहीं जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या हैं। आइए जानें इस बारे में –

    छठ पूजा में व्रती महिलाएं बिना सिलाई किए हुए ही कपड़े पहनती हैं। ऐसे में महिलाएं सूती साड़ी पहनती हैं। ये परंपरा सदियों से चलती आ रही है। जो आज भी कायम है।

    छठ पूजा को करना काफी कठिन माना जाता है। एक बार कोई व्रत शुरू कर दे, तो इसे लगातार करना होता हैं। इस व्रत को घर की महिलाओं को तब तक करना होता हैं। जब तक नई पीढ़ी की कोई महिला व्रत की शुरुआत न कर दे।

    छठ पूजा के दौरान महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर ही पूजा करते हैं। हालांकि, साड़ी खरीदते समय महिलाएं इस बात का विशेष रखती है कि वह सिलाई वाली न हो।

    छठ पूजा में सिंदूर का महत्व

    छठ पूजा में व्रती महिलाएं पूरा श्रृंगार करती हैं। अपने इस श्रृंगार को पूरा करने के लिए वो नाक तक सिंदूर भी जरूर लगाती हैं। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में सवाल उठता है कि इसके पीछे ऐसी क्या मान्यता है।

    दरअसल, सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है।छठ पूजा में महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं। मान्यता है कि मांग में लंबा सिंदूर भरने से पति की आयु लंबी होती है। कहा जाता है कि विवाहित महिलाओं को सिंदूर लंबा और ऐसा लगाना चाहिए जो सभी को दिखे। ये सिंदूर माथे से शुरू होकर जितनी लंबी मांग हो उतना भरा जाना चाहिए। पति की दीर्घायु के लिए ही व्रती महिलाएं छठ के पावन मौके पर नाक तक सिंदूर लगाती हैं।