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मुंबई: शिव का प्रिय सावन का महीना शिव भक्तों के लिए काफी खास होता है। इस माह में की गई पूजा-उपासना का फल कई गुना ज्यादा मिलता है। 28 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार है और इस साल का सावन का आखिरी सोमवार काफी महत्वपूर्ण है।

सावन के हर सोमवार पर शिव जी की पूजा का विशेष महत्व है। सावन माह के प्रत्येक सोमवार शिव भक्तों के लिए बेहद खास माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार सावन के आखिरी सोमवार 28 अगस्त को 5 शुभ संयोग बन रहे हैं। मान्यता है कि इस भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए शुभ समय में पूजा और अभिषेक करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार 28 अगस्त को सावन के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। साथ ही इसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन सोम प्रदोष भी रखा जायेगा। ऐसे में जो लोग इस दिन पूजा-पाठ करेंगे उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होगी।

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन के आखिरी सोमवार को सुबह की पूजा का शुभ समय सुबह 09:09 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक है। वहीं प्रदोष काल में पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजकर 02 मिनट तक है। ज्योतिषियों के अनुसार, अगर सावन का आखिरी सोमवार प्रदोष व्रत के साथ पड़े तो शुभ संयोग बनता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन माह में भोलेनाथ की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का दिव्य जलाभिषेक करें। मां पार्वती और नंदी जी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं। पंचामृत से रुद्राभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन का लेप, चावल आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाकर समापन करें। इस दौरान ‘ऊँ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें।

अगर सावन में भोलेनाथ का रुद्राभिषेक न कर पाएं हो तो सावन के आखिरी सोमवार पर रुद्राभिषेक कर भोलेनाथ की कृपा पाने का अवसर है। कहते हैं सावन सोमवार के दिन शिव का रुद्राभिषेक करने से समस्त रोगों का नाश होता है और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।