सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन धर्म में ‘तुलसी विवाह’ (Tulsi Vivah) का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, ‘तुलसी विवाह’ का आयोजन हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस एकादशी को ‘देवउठनी एकादशी’, ‘प्रबोधिनी एकादशी’ भी कहते हैं। इस साल ‘तुलसी विवाह’ (Tulsi Vivah) 5 नवंबर, शनिवार को है। आइए जानें क्या है तुलसी पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महिमा
तिथि
हर वर्ष तुलसी पूजा का आयोजन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। इस वर्ष कार्तिक मास की द्वादशी तिथि 5 नवंबर, 2022 शनिवार के दिन है। इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसके एक दिन पहले भगवान विष्णु चार मास के लंबी निद्रा से जागते हैं और पुनः अपने भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं। इसके साथ इसी दिन से विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार के सभी मुहूर्त प्रारम्भ हो जाते हैं। इस विशेष अवसर पर भगवान शालिग्राम का विवाह तुलसी से करने की परम्परा है।
शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह 2022 तिथि :
5 नवंबर, 2022, शनिवार
द्वादशी तिथि प्रारम्भ:
04 नवम्बर 2022 को शाम 06:08 बजे से
द्वादशी तिथि समाप्त:
5 नवम्बर 2022 को शाम 5:06 बजे तक
पूजा विधि
- लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाएं। गमले को गेरू से रंग दें और चौकी के ऊपर तुलसी जी को स्थापित करें।
- दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालिग्राम को स्थापित करें।
- दोनों चौकियों के ऊपर गन्ने से मंडप सजाना चाहिए।
- अब एक कलश में जल भरकर रखें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- अब शालिग्राम व तुलसी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें।
- तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं, चूड़ी, बिंदी आदि चीजों से तुलसी का श्रृंगार करें।
- तत्पश्चात सावधानी से चौकी समेत शालिग्राम को हाथों में लेकर तुलसी का सात परिक्रमा करनी चाहिए।
- पूजन पूर्ण होने के बाद देवी तुलसी व शालिग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें।पूजा संपन्न होने के पश्चात सभी में प्रसाद वितरित करें।
महिमा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और उनके वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। साथ ही पति-पत्नी के बीच उत्पन्न हो रहे समस्याओं का भी समाधान निकलता है।