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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: सनातन धर्म में ‘भानु सप्तमी’ (Bhanu Saptami) का बड़ा महत्व है। इस वर्ष यह सप्तमी आज 26 फरवरी, रविवार को है। भगवान सूर्य को समर्पित यह तिथि हर महीने में शुक्ल और कृष्ण पक्ष में सप्तमी आती है। इसे ‘रथ सप्तमी’, ‘अचला सप्तमी’ के साथ ‘भानु सप्तमी’ भी कहा जाता है। ऐसे ही फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ‘भानु सप्तमी’ (Bhanu Saptami) कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ विधिवत पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से सभी कष्टों के साख स्किन संबंधी रोगों से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानें भानु सप्तमी का मुहूर्त और पूजा विधि –

शुभ मुहूर्त

शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि आरंभ-

26 फरवरी को सुबह 12 बजकर 20 मिनट से शुरू

शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि समाप्त-

27 फरवरी को सुबह 12 बजकर 59 मिनट पर

इंद्र योग-

26 फरवरी को दोपहर 4 बजकर 26 मिनट तक

त्रिपुष्कर योग-

26 फरवरी को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से 27 फरवरी को सुबह 12 बजकर 59 मिनट तक।

पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय के पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें चंदन, लाल फूल, अक्षत मिलाकर उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करें। भगवान सू्र्य को जल अर्पित करते समय ओम् घृणि सूर्याय नमः इस मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद भगवान सूर्य को दोनों हाथ जोड़कर प्रमाण करें। इसके अलावा इस दिन भगवान सूर्य की विशेष कृपा पाने के लिए आदित्यहृदय स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं।

‘भानु सप्तमी’ के दिन व्रत रखने के साथ जरूरतमंदों को दान अवश्य दें। इसके साथ ही गाय को हरा चारा अवश्य खिलाएं। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

‘भानु सप्तमी’ के खास उपाय  

  • ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘भानु सप्तमी’ के दिन सूर्य देव की कृपा पाने के लिए किसी जरूरतमंद को गेहूं, गुड़, लाल कपड़ा, तांबा इत्यादि वस्तुओं का दान कर सकते हैं।
  • सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करे सूर्य चालीसा का पाठ करें। साथ ही सूर्य देव की आरती भी करें। मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। और मनोवांछित फल देते हैं।
  • इस दिन सूर्य देव के मंत्र ओम् ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा का जाप कर सकते हैं।