आज है गुरु प्रदोष, ‘इस’ बेला में ही करें महादेव की पूजा, मिलेगा शिवजी का आशीर्वाद और शत्रुओं पर मिलेगी विजय

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: सनातन धर्म में भगवान शिव (Lord Shiva) की कृपा पाने के लिए ‘प्रदोष व्रत’ (Guru Pradosh) फलदायी माना जाता है। हर माह की त्रयोदशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है। इस बार अक्टूबर का महीने का अंतिम प्रदोष व्रत आज यानी 26 अक्टूबर, गुरुवार को रखा गया है। धार्मिक मान्यता है कि, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आ रही हर प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। आइए जानें कब रखा जाएगा अक्टूबर का अंतिम प्रदोष व्रत कब है गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त और महत्व-

तिथि

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर दिन गुरुवार को सुबह 9 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 27 अक्टूबर शुक्रवार के दिन सुबह 6 बजकर 56 मिनट तक मान्य रहेगी। प्रदोष पूजा मुहूर्त के समय को देखते हुए अक्टूबर का अंतिम प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर को रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

26 अक्टूबर को गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 5 बजकर 41 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक है। इस मुहूर्त में आपको भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए। ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत पर शिवजी की पूजा संध्या बेला में ही होती है।

गुरु प्रदोष व्रत के दिन ध्रुव और व्याघात योग बनेगा। व्याघात योग प्रात:काल से लेकर सुबह 08 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से व्याघात योग प्रारंभ होगा, जो रात तक रहेगा। वहीं, व्रत वाले दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र सुबह 11 बजकर 27 मिनट तक है। फिर उत्तर भाद्रपद नक्षत्र शुरू होगा।

महत्व

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। प्रदोष व्रत का महत्व दिन के अनुसार अलग-अलग होता है। 26 अक्टूबर को गुरु प्रदोष व्रत है। गुरु प्रदोष व्रत और शिव कृपा से दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है। यदि आप अपने दुश्मनों और विरोधियों पर विजय हासिल करना चाहते हैं, तो गुरु प्रदोष व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि विधान से करें। कहते है ऐसा करने से आपको अपने दुश्मनों और विरोधियों पर विजय मिल सकती है।